जम्मू कश्मीर की "लेडी सिंघम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट"शाहीदा परवीन गांगुली 80 आतंकियों को ठोंकने वाली जम्मू की बेटी ने दिल्ली को दिया साहस का संदेश.

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास कार बम धमाके में 13 मौतें और 20 घायल। जांच के दौरान मौके पर दिखीं जम्मू-कश्मीर की पहली महिला IPS शाहीदा परवीन गांगुली ('लेडी सिंघम')। 80+ आतंकियों का एनकाउंटर करने वाली यह निडर अधिकारी एनआईए को काउंटर-टेररिज्म सहायता दे रही हैं। पुंछ की साधारण बेटी से देश की सुरक्षा योद्धा बनीं शाहीदा की प्रेरक कहानी फिर सुर्खियों में।

Nov 13, 2025 - 18:39
जम्मू कश्मीर की "लेडी सिंघम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट"शाहीदा परवीन गांगुली 80 आतंकियों को ठोंकने वाली जम्मू की बेटी ने दिल्ली को दिया साहस का संदेश.

नई दिल्ली, 13 नवंबर 2025: राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले (लाल किला) के पास 10 नवंबर को शाम करीब 6:50 बजे एक हाइयुंडई i20 कार में हुए शक्तिशाली धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस भयावह घटना में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गए। धमाके से आसपास की कई गाड़ियां जलकर खाक हो गईं, और लाल किला मेट्रो स्टेशन को सुरक्षा कारणों से कई दिनों तक बंद रखना पड़ा। लेकिन धुंधलाए धुएं और अफरा-तफरी के बीच एक ऐसा चेहरा उभरा, जो न केवल घटनास्थल पर सक्रिय दिखा, बल्कि पूरे राष्ट्र को साहस की प्रेरणा भी दे गया। वह चेहरा था जम्मू-कश्मीर की बहादुर महिला अधिकारी शाहीदा परवीन गांगुली का – जिन्हें 'जम्मू-कश्मीर की लेडी सिंघम' और 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' के नाम से जाना जाता है।यह धमाका कोई साधारण हादसा नहीं था। दिल्ली पुलिस और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि यह एक सुनियोजित आतंकी घटना हो सकती है।

धमाके वाली कार हरियाणा नंबर (HR26 CE 7674) की थी, जो कई बार खरीद-फरोख्त हो चुकी थी। एक संदिग्ध, पुलवामा के डॉ. उमर नबी से इसका कनेक्शन जोड़ा जा रहा है, जो जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखता है। कार मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है, और उसके बयानों से कई राज खुलने की उम्मीद है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी पहलुओं की गहन जांच के आदेश दिए हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए दोषियों को सख्त सजा देने का वादा किया। अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने भी इस घटना पर चिंता जताई और सहायता की पेशकश की। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने नेताजी सुभाष मार्ग पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया, और पूरे शहर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया।

ऐसे संवेदनशील हालात में शाहीदा परवीन गांगुली की मौजूदगी ने जांच को नई दिशा दी। 1997 बैच की आईपीएस अधिकारी शाहीदा, जो वर्तमान में दिल्ली में असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (ACP) के पद पर तैनात हैं, घटनास्थल पर पहुंचीं और एनआईए को अपने काउंटर-टेररिज्म अनुभव से सहायता प्रदान कीं। उनकी उपस्थिति इसलिए खास थी क्योंकि संदिग्ध का जम्मू-कश्मीर से लिंक है, और शाहीदा का लंबा संघर्ष आतंकी नेटवर्क्स के खिलाफ रहा है। एक वायरल सीसीटीवी फुटेज में उन्हें धमाके के बाद तुरंत सक्रिय होते देखा गया, जहां वे फॉरेंसिक टीम के साथ मिलकर सुराग जुटा रही थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी विशेषज्ञता से इस केस में लश्कर-ए-तैयबा या हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों का हाथ साबित हो सकता है।शाहीदा परवीन गांगुली की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। पुंछ जिले के एक साधारण मुस्लिम परिवार में 1970 के दशक में जन्मीं शाहीदा ने मात्र चार साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया। आतंकवाद की आग में झुलसते जम्मू-कश्मीर के उस दौर में, जहां महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना ही चुनौती था, शाहीदा ने डर को पैरों तले कुचल दिया। गणित में स्नातक करने के बाद उन्होंने परिवार की आर्थिक तंगी मिटाने के लिए नौकरी की तलाश शुरू की। लेकिन उनका सपना था पुलिस सेवा में शामिल होकर देश की सेवा करना। 1994 में उन्होंने गुप्त रूप से सब-इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए आवेदन किया, क्योंकि परिवार वाले सहमत न थे। चयन के बाद वे जम्मू-कश्मीर पुलिस में शामिल हुईं और धीरे-धीरे आईपीएस बनकर पहाड़ सी ऊंचाई छू लीं। वे जम्मू-कश्मीर से आने वाली पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनीं, जो अपने आप में एक इतिहास रचने जैसा था।

शाहीदा का असली कमाल तो 1997 से 2002 के बीच सामने आया, जब उन्होंने स्वेच्छा से स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) जॉइन किया। यहां उन्होंने 80 कमांडोज की एक पुरुष-प्रधान टीम का नेतृत्व संभाला। उस दौर में SOG आतंकवाद के खिलाफ सबसे खतरनाक मोर्चा था, जहां हर मिशन मौत का खेल था। शाहीदा ने न केवल अपनी टीम को संभाला, बल्कि कई उच्च-जोखिम वाले ऑपरेशंस को सफल बनाया। उन्होंने 80 से अधिक आतंकवादियों का सफाया किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सदस्य शामिल थे। एक बार तो उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर एक घेराबंदी में 12 घंटे तक आतंकियों से भिड़कर उन्हें धर दबोचा। उनके साहस की वजह से उन्हें 'लेडी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' कहा जाने लगा।उनकी निडरता की मिसालें गिनाने में किताबें कम पड़ जाएंगी। 2000 में उन्हें आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन मिला, लेकिन उन्होंने इसे तभी स्वीकारा जब उनकी पूरी टीम को मान्यता दी गई। नतीजा? आठ कमांडोज को जम्मू-कश्मीर पुलिस में स्थायी रूप से शामिल किया गया। 2002 में उन्हें पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री से सम्मानित किया गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में स्थान मिला। शादी के बाद उनके पति, बंगाली मूल के आर्मी ऑफिसर गौतम गांगुली से उनका सरनेम जुड़ा, और वे दो बच्चों की मां बनीं। फिर भी, उन्होंने कभी अपने कर्तव्य से समझौता नहीं किया। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर में रहते हुए वे योग और मेडिटेशन से अपनी ऊर्जा संतुलित रखती हैं।सीआईडी जम्मू-कश्मीर में असिस्टेंट कमिश्नर के रूप में सेवा दे चुकीं शाहीदा ने हमेशा महिलाओं को प्रेरित किया है। 'इंडियन आइडल 13' जैसे शो में वे अपनी संघर्षगाथा साझा कर चुकी हैं, जहां उन्होंने बताया कि कैसे एक महिला अधिकारी के रूप में स्थापित होना आसान न था। लेकिन उनका मानना है, "डर को जीतना ही सबसे बड़ा एनकाउंटर है।" लाल किले धमाके के बाद उनकी सक्रियता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे न केवल जम्मू-कश्मीर की, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा का मजबूत कवच हैं।यह घटना हमें याद दिलाती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साहस और दृढ़ता ही असली हथियार हैं। शाहीदा परवीन गांगुली जैसी योद्धाओं की वजह से ही हमारा राष्ट्र सुरक्षित है। जांच जारी है, और उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को सजा मिलेगी।