बाड़मेर कमलेश प्रजापति एनकाउंटर प्रकरण: CBI कोर्ट का बड़ा फैसला, दो IPS सहित पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा
बाड़मेर के कमलेश प्रजापति एनकाउंटर प्रकरण (22 अप्रैल 2021) में CBI कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कमलेश की पत्नी जशोदा की प्रोटेस्ट पिटीशन पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पाली और बाड़मेर के तत्कालीन SP कालूराम और आनंद शर्मा सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या (धारा 302) और आपराधिक साजिश (धारा 120बी) का मुकदमा चलाने का आदेश दिया।

बाड़मेर, 21 अप्रैल 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले में 22 अप्रैल 2021 को हुए कमलेश प्रजापति एनकाउंटर मामले में CBI की विशेष अदालत ने सनसनीखेज फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कमलेश की पत्नी जशोदा द्वारा दायर प्रोटेस्ट पिटीशन पर संज्ञान लेते हुए पाली और बाड़मेर के तत्कालीन SP कालूराम और आनंद शर्मा सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या (धारा 302) और आपराधिक साजिश (धारा 120बी) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला शुरू से ही विवादों में रहा है, और CBI कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACGM) के इस फैसले ने राजस्थान पुलिस और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
प्रकरण की पृष्ठभूमि: कमलेश प्रजापति एनकाउंटर का सच
22 अप्रैल 2021 की रात बाड़मेर पुलिस ने कुख्यात तस्कर और हिस्ट्रीशीटर कमलेश प्रजापति का एनकाउंटर करने का दावा किया था। पुलिस के अनुसार, छापेमारी के दौरान कमलेश ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसके जवाब में आत्मरक्षा में गोली चलाई गई, जिसमें उसकी मौत हो गई। हालांकि, घटना के बाद वायरल एक सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस के दावों पर गंभीर सवाल खड़े किए। फुटेज में पुलिसकर्मियों को कमलेश की गाड़ी की विंडशील्ड तोड़ते और उसे जबरन गाड़ी में डालते देखा गया, जिसके बाद उसे गोली मारी गई।
कमलेश की पत्नी जशोदा और भाई भैराराम ने इसे सुनियोजित हत्या करार देते हुए आरोप लगाया कि यह एनकाउंटर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी के इशारे पर किया गया। परिजनों का दावा था कि कमलेश की पचपदरा रिफाइनरी में ठेकेदारी के कारण चौधरी परिवार से व्यापारिक प्रतिस्पर्धा थी, जिसके चलते उसे निशाना बनाया गया।
CBI जांच और प्रोटेस्ट पिटीशन
बाड़मेर में इस एनकाउंटर के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। कांग्रेस विधायक मदन प्रजापति, BJP नेताओं, और केंद्रीय मंत्रियों जैसे गजेंद्र सिंह शेखावत ने निष्पक्ष जांच की मांग की। दबाव बढ़ने पर तत्कालीन गहलोत सरकार ने मई 2021 में मामले को CBI को सौंप दिया। CBI ने जुलाई 2021 में FIR दर्ज की और जांच शुरू की।
हालांकि, CBI की जांच की प्रगति पर परिजनों ने असंतोष जताया। जशोदा ने CBI कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की, जिसमें उन्होंने जांच को अपर्याप्त बताते हुए बाड़मेर पुलिस और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। CBI कोर्ट के ACGM ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए दो IPS अधिकारियों—तत्कालीन पाली SP कालूराम और बाड़मेर SP आनंद शर्मा—सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया।
प्रोटेस्ट पिटीशन में गंभीर आरोप
जशोदा की प्रोटेस्ट पिटीशन में कई चौंकाने वाले आरोप लगाए गए हैं:
फर्जी एनकाउंटर: याचिका में दावा किया गया कि कमलेश का एनकाउंटर सुनियोजित था और इसे हरीश चौधरी के इशारे पर अंजाम दिया गया।
सीसीटीवी फुटेज की अनदेखी: पड़ोसी के घर के बाहर लगे सीसीटीवी में पूरी घटना रिकॉर्ड हुई थी, लेकिन पुलिस ने इसकी जांच नहीं की।
व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड: कमलेश के भाई भैराराम ने दावा किया कि एनकाउंटर से पहले सुमेरपुर DSP के साथ कमलेश की व्हाट्सएप कॉल हुई थी, जिसमें पैसे की मांग की गई। इस कॉल डिटेल की जांच की मांग की गई।
पुलिस की क्रूरता: याचिका में आरोप है कि पुलिस ने कमलेश के घर का बिजली कनेक्शन काटा और 70 पुलिसकर्मियों ने बिना घोषणा के घर को घेर लिया।
जशोदा ने CBI से निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
CBI कोर्ट का फैसला: क्यों लिया गया संज्ञान?
CBI कोर्ट के ACGM ने प्रोटेस्ट पिटीशन की सुनवाई के दौरान कई तथ्यों पर गौर किया:
सीसीटीवी फुटेज: वायरल फुटेज में पुलिस की कार्रवाई संदिग्ध नजर आई, जो एनकाउंटर की कहानी से मेल नहीं खाती।
CBI जांच में कमियां: कोर्ट ने पाया कि CBI ने कुछ महत्वपूर्ण सबूतों, जैसे सीसीटीवी फुटेज और व्हाट्सएप कॉल डिटेल, की गहन जांच नहीं की।
परिजनों के आरोप: कोर्ट ने जशोदा और भैराराम के बयानों को गंभीरता से लिया, खासकर प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता के दावों को।
पुलिस की भूमिका: तत्कालीन SP कालूराम और आनंद शर्मा की इस ऑपरेशन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भूमिका को संदिग्ध माना गया।
इन आधारों पर कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए दो IPS अधिकारियों और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया। यह फैसला अन्य एनकाउंटर मामलों, जैसे आनंदपाल सिंह केस, से प्रेरित माना जा रहा है, जहां भी CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की गई थी।
वर्तमान स्थिति और राजनीतिक प्रभाव
CBI कोर्ट के इस फैसले के बाद बाड़मेर और राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया है। हरीश चौधरी ने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वह किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं। दूसरी ओर, प्रजापत समाज और कमलेश के समर्थक इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और इसे न्याय की दिशा में पहला कदम मान रहे हैं।
पाली और बाड़मेर के तत्कालीन SP कालूराम और आनंद शर्मा पर लगे आरोपों ने पुलिस महकमे में भी सनसनी फैला दी है। कोर्ट ने CBI को आदेश दिया है कि वह मामले की गहन जांच करे और अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट पेश करे। इस बीच, कमलेश के परिजन और प्रजापत समाज समय-समय पर प्रदर्शन कर रहे हैं।