कंप्यूटर टीचर से क्रिकेट सट्टे का मास्टरमाइंड: 150 करोड़ का काला खेल, इंजीनियर दोस्तों के साथ मिलकर बनाया हाईटेक जाल
अलवर पुलिस ने एक ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी गिरोह का पर्दाफाश किया, जिसका मास्टरमाइंड पूर्व कंप्यूटर टीचर नितिन पालीवाल था। उसने दो इंजीनियर दोस्तों, महेश शर्मा और पीयूष शर्मा, के साथ मिलकर 30 से अधिक वेबसाइट्स के जरिए 150 करोड़ रुपये का सट्टा कारोबार चलाया। यह गिरोह 60,000 से ज्यादा लोगों को अपने जाल में फंसा चुका था। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया और उनके पास से मोबाइल, लैपटॉप, और संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए। जांच में हजारों करोड़ के सट्टे का खुलासा हो सकता है।

अलवर, राजस्थान में पुलिस ने एक सनसनीखेज ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसका मास्टरमाइंड एक पूर्व कंप्यूटर टीचर, नितिन पालीवाल, निकला। इस हाईटेक गिरोह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुके तीन दोस्तों—नितिन पालीवाल (45), महेश शर्मा (32), और पीयूष शर्मा (33)—के साथ मिलकर 150 करोड़ रुपये से अधिक का सट्टा कारोबार खड़ा किया। यह गिरोह 30 से ज्यादा फर्जी वेबसाइट्स के जरिए देशभर में 60,000 से अधिक लोगों को अपने जाल में फंसा चुका था। अलवर पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके पास से 6 मोबाइल, 2 लैपटॉप, एक हार्ड ड्राइव, 15 एटीएम कार्ड, और एक एसयूवी कार जब्त की है।
कैसे शुरू हुआ यह काला खेल?
मास्टरमाइंड नितिन पालीवाल, जो पहले अलवर में कंप्यूटर साइंस की कोचिंग चलाता था, ने 2021 में कोविड महामारी के दौरान बेरोजगारी का सामना किया। इसी दौरान उसने ऑनलाइन सट्टेबाजी का रास्ता चुना। शुरुआत में नितिन दिल्ली के एक सट्टा किंग, मनीष गुप्ता, के लिए वेबसाइट डिजाइन करने का काम करता था और इसके लिए उसे मासिक वेतन मिलता था। इस काम से प्रेरित होकर नितिन ने अपने दो इंजीनियर दोस्तों, महेश शर्मा और पीयूष शर्मा, के साथ मिलकर खुद का सट्टा नेटवर्क शुरू किया।
तीनों ने मिलकर महादेव सट्टा ऐप की तर्ज पर 30 से अधिक वेबसाइट्स बनाईं, जो क्रिकेट (विशेषकर आईपीएल), ऑनलाइन कैसिनो, मटका (फरीदाबाद, गाजियाबाद, दिल्ली, जोधपुर आदि) जैसे खेलों पर सट्टा चलाती थीं। इन वेबसाइट्स को एडमिन, सुपर मास्टर, एजेंट, और प्लेयर मॉडल पर संचालित किया जाता था। सट्टा वर्चुअल करेंसी के जरिए लगाया जाता था, जबकि असली पैसे का लेनदेन हवाला नेटवर्क और ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से होता था। इस नेटवर्क के तार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और यहां तक कि दुबई तक जुड़े हुए थे।
कैसे काम करता था यह गिरोह?
पुलिस जांच में पता चला कि यह गिरोह अत्यधिक हाईटेक तरीके से काम करता था। तीनों इंजीनियरों ने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर सट्टेबाजी के लिए एक मजबूत डिजिटल ढांचा तैयार किया था। उनकी वेबसाइट्स पर 60,000 से अधिक सक्रिय आईडी थीं, जिनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से थीं। ग्राहकों को लुभाने के लिए वे क्रिकेट, आईपीएल, और अन्य जुआ खेलों पर सट्टा लगवाते थे। लेनदेन को गुप्त रखने के लिए हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता था, और सट्टे से कमाई गई रकम को राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में प्रॉपर्टी खरीदने में निवेश किया गया।
आरोपियों ने अलवर में एक स्पोर्ट्स क्लब, "डग आउट स्पोर्ट्स क्लब", भी शुरू किया था, जो उनकी लग्जरी लाइफस्टाइल का हिस्सा था। इसके अलावा, उन्होंने सट्टे की कमाई से फार्महाउस और अन्य संपत्तियां खरीदीं। पुलिस को इनके पास से मिले दस्तावेजों से इन संपत्तियों का पता चला है, और अब इनकी जब्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
अलवर पुलिस को साइबर सेल के हेड कांस्टेबल संदीप और एमआईए थाना प्रभारी अजीत बड़सरा से इस गिरोह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली थी। रविवार को आगरा से अलवर आते समय नाकाबंदी के दौरान नितिन पालीवाल को पकड़ा गया। उसकी पूछताछ से महेश शर्मा और पीयूष शर्मा के शामिल होने का खुलासा हुआ, जिन्हें बाद में मथुरा से गिरफ्तार किया गया। तीनों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 6 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
पुलिस ने अभी तक केवल 3 वेबसाइट्स की जांच से 150 करोड़ रुपये के लेनदेन का हिसाब निकाला है। बाकी 27 वेबसाइट्स की जांच से हजारों करोड़ के सट्टे का खुलासा होने की संभावना है। अलवर पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और हवाला ऑपरेटरों की तलाश में है। जांच में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों, जैसे ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, का भी सहयोग लिया जा रहा है, क्योंकि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका है।
आरोपियों की जीवनशैली
पुलिस के अनुसार, नितिन और महेश सामान्य जीवन जीते थे और सामाजिक रूप से ज्यादा सक्रिय नहीं थे, जिससे उनके इस काले धंधे का किसी को अंदाजा नहीं था। वहीं, पीयूष शर्मा की जीवनशैली काफी लग्जरी थी। तीनों ने अलवर में एक स्पोर्ट्स क्लब चलाने के साथ-साथ अपनी कमाई को प्रॉपर्टी और अन्य निवेशों में लगाया। पड़ोसियों को केवल इतना पता था कि वे एक स्पोर्ट्स क्लब चलाते हैं, लेकिन उनके काले कारनामों का किसी को भनक तक नहीं थी।
यह मामला न केवल साइबर क्राइम और आर्थिक अपराध का एक बड़ा उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे तकनीकी ज्ञान का दुरुपयोग कर लोग अवैध कारोबार में लिप्त हो सकते हैं। अलवर पुलिस की इस कार्रवाई ने एक बार फिर ऑनलाइन सट्टेबाजी के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। जांच अभी जारी है, और पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही इस नेटवर्क के और बड़े खुलासे होंगे।