हाईकोर्ट के आदेश पर जैसलमेर के अभ्यर्थी को मिला न्याय, इंटरव्यू में हुई भागीदारी

देवेंद्र सिंह को RPSC ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती से बाहर किया, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें इंटरव्यू में शामिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने RPSC और UGC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

Sep 17, 2025 - 12:42
हाईकोर्ट के आदेश पर जैसलमेर के अभ्यर्थी को मिला न्याय, इंटरव्यू में हुई भागीदारी

राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की असिस्टेंट प्रोफेसर (गणित विषय) भर्ती प्रक्रिया में एक अभ्यर्थी को चयन सूची से बाहर करने के फैसले पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। जैसलमेर जिले के निवासी देवेंद्र सिंह को दस्तावेज सत्यापन के बाद प्रक्रिया से हटाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने आरपीएससी और यूजीसी को नोटिस जारी किया है। साथ ही, अंतरिम राहत देते हुए अभ्यर्थी को 16 सितंबर को निर्धारित इंटरव्यू में शामिल होने का आदेश दिया गया, जिसके बाद वे सफलतापूर्वक इंटरव्यू दे पाए।

चयन से बाहर का झटका

जैसलमेर के देवेंद्र सिंह को आरपीएससी द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर (गणित) भर्ती परीक्षा में इंटरव्यू के लिए चयनित किया गया था। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन 11 सितंबर को दस्तावेज सत्यापन के दौरान उन्हें अचानक चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। जबकि इस भर्ती के इंटरव्यू का अंतिम दिनांक 16 सितंबर निर्धारित था, और अन्य अभ्यर्थी अपनी तैयारी में जुटे थे।

देवेंद्र सिंह ने बताया, "मैंने पूरी मेहनत से परीक्षा दी और इंटरव्यू के लिए चुना गया, लेकिन आयोग के इस फैसले ने सब कुछ छीन लिया।" इस ने न केवल उनके भविष्य को प्रभावित किया, बल्कि अन्य अभ्यर्थियों में भी असुरक्षा की भावना पैदा कर दी।

मनमाने फैसले पर सवाल

आरपीएससी के इस निर्णय के खिलाफ देवेंद्र सिंह ने तुरंत राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से जयपुर स्थित एएसएम लॉ चैंबर्स के वकील नृपराज सिंह भाटी ने कोर्ट में मजबूत दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि भर्ती विज्ञप्ति में ऐसी कोई योग्यता या प्रावधान का उल्लेख ही नहीं है, जिसके आधार पर अभ्यर्थी को बाहर किया गया हो। "यह फैसला पूरी तरह मनमाना और पक्षपातपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के कारण हुई देरी जैसी परिस्थितियां अभ्यर्थी के नियंत्रण से बाहर थीं, जिसमें उनकी कोई गलती नहीं है," भाटी ने जोर देकर कहा।

वकील ने आगे तर्क दिया कि आरपीएससी को ऐसी स्थितियों में लचीलापन दिखाना चाहिए था, खासकर जब भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से चल रही हो। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि अभ्यर्थी ने सभी आवश्यक दस्तावेज समय पर जमा किए थे, लेकिन महामारी से उत्पन्न बाधाओं के कारण मामूली विलंब हुआ, जो आयोग के नियमों के विरुद्ध नहीं था।

नोटिस और अंतरिम राहत

माननीय उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के तर्कों को पूरी तरह स्वीकार करते हुए आरपीएससी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को चार सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने का निर्देश दिया। जस्टिस ने कहा, "भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सर्वोपरि है। अभ्यर्थी के अधिकारों की रक्षा करना न्यायालय का कर्तव्य है।"

इसके अलावा, कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान करते हुए स्पष्ट आदेश जारी किया कि देवेंद्र सिंह को 16 सितंबर को होने वाले इंटरव्यू में शामिल किया जाए। इस आदेश के तुरंत बाद आरपीएससी ने व्यवस्था की, और अभ्यर्थी इंटरव्यू में भाग ले सके। देवेंद्र सिंह ने राहत मिलने पर कहा, "कोर्ट का यह फैसला न केवल मेरे लिए, बल्कि सभी अभ्यर्थियों के लिए एक मिसाल है।"

Yashaswani Journalist at The Khatak .