कोटा में KDA की लापरवाही बनी हादसे का सबब: 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला 10 फीट गहरे गड्ढे में गिरी, ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालकर बचाया

कोटा के बोरखेड़ा इलाके में KDA की लापरवाही के चलते 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला कांति देवी रात 8 बजे जर्जर पुलिया के पास 10 फीट गहरे गड्ढे में गिर गईं। ग्रामीणों ने रस्सी-फावड़े से जान जोखिम में डालकर उन्हें बचाया। महिला को गंभीर चोटें आईं, इलाज चल रहा है। क्षेत्र में बार-बार हो रहे हादसों के बावजूद KDA कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।

Nov 18, 2025 - 17:05
कोटा में KDA की लापरवाही बनी हादसे का सबब: 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला 10 फीट गहरे गड्ढे में गिरी, ग्रामीणों ने जान जोखिम में डालकर बचाया

कोटा, 18 नवंबर 2025: राजस्थान के कोटा शहर में विकास प्राधिकरण (KDA) की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। ग्रामीण पुलिस लाइन बोरखेड़ा इलाके में एक जर्जर पुलिया के पास बने 10 फीट गहरे गड्ढे में 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला गिर गईं। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने फावड़े और रस्सी का इस्तेमाल कर उन्हें बाहर निकाला, लेकिन इस दौरान उन्हें गंभीर चोटें भी आईं। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें स्थानीय डिस्पेंसरी में भर्ती कराया गया। यह घटना देर रात करीब 8 बजे घटी, जब अंधेरा होने के कारण सड़क की खराब स्थिति और बिना किसी चेतावनी के गड्ढा नजर नहीं आया।

घटना का पूरा विवरण;  आदित्य नगर निवासी 70 वर्षीय कांति देवी मंगलवार देर रात अपने घर से निकलीं। वे पास की दुकान से किराने का सामान खरीदने जा रही थीं। बोरखेड़ा इलाके में ग्रामीण पुलिस लाइन के पास एक पुरानी पुलिया है, जो वर्षों से जर्जर हालत में है। KDA द्वारा बनाई गई यह पुलिया अब टूट-फूट चुकी है, और उसके नीचे एक गहरा गड्ढा बन गया है। अंधेरे में सड़क पर रोशनी की कमी और गड्ढे के किनारे पर कोई रेलिंग या चेतावनी बोर्ड न होने के कारण कांति देवी सीधे 10 फीट गहरे गड्ढे में गिर पड़ीं।मौके पर सड़क किनारे टहल रहे कुछ ग्रामीणों ने चीख-पुकार सुनकर दौड़ लगाई। उन्होंने तुरंत फावड़े, रस्सी और लाठियों का सहारा लेकर बुजुर्ग महिला को गड्ढे से बाहर खींचा। बचाव के दौरान कांति देवी को सिर, हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आईं, साथ ही उन्हें सदमा भी लगा। ग्रामीणों ने उन्हें तुरंत नजदीकी डिस्पेंसरी पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार किया। वर्तमान में उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि उम्र अधिक होने के कारण कोई जटिलता हो सकती है।

KDA की लापरवाही: बार-बार हो रहे हादसे यह घटना कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) की लापरवाही का एक और उदाहरण है। बोरखेड़ा इलाका कोटा का एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है, जहां सैकड़ों परिवार रहते हैं। यहां की सड़कें और पुलियां वर्षों से रखरखाव की कमी का शिकार हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि KDA ने इस इलाके में कोई मरम्मत कार्य नहीं कराया, जिससे गड्ढे और जर्जर संरचनाएं हादसों को न्योता दे रही हैं। "यह पुलिया सालों से टूटी पड़ी है। रात के समय यहां रोशनी भी नहीं होती, और बच्चे-बुजुर्ग रोज इसी रास्ते से गुजरते हैं। KDA को शिकायतें भेजीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज बुजुर्ग महिला बचीं, कल किसी का नुकसान हो सकता है।" इसी तरह, एक अन्य ग्रामीण ने कहा, "हमने कई बार KDA के अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन वे आश्वासन देकर चले जाते हैं। यह लापरवाही जानलेवा है।"पिछले कुछ महीनों में इस इलाके में इसी तरह के कई हादसे हो चुके हैं। जून में एक स्कूली छात्र गड्ढे में गिरकर घायल हो गया था, जबकि अगस्त में एक दोपहिया वाहन चालक की जान चली गई। इन घटनाओं के बावजूद KDA ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। विशेषज्ञों का मानना है कि विकास प्राधिकरण को सड़क सुरक्षा के लिए नियमित निरीक्षण और मरम्मत सुनिश्चित करनी चाहिए, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई;  घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। ग्रामीण पुलिस थाने के प्रभारी ने बताया कि KDA अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, जिला प्रशासन ने प्रभावित इलाके में तत्काल रोशनी व्यवस्था और अस्थायी बैरिकेडिंग लगाने के निर्देश दिए हैं।कांति देवी के परिवार ने KDA के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और मुआवजे की मांग की है। परिवार के सदस्यों का कहना है, "हमारी मां बुजुर्ग हैं, उन्हें इस उम्र में ऐसी तकलीफ नहीं झेलनी चाहिए। KDA को जिम्मेदार ठहराया जाए।"

सुरक्षा विशेषज्ञों की सलाह;  सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:नियमित निरीक्षण: सड़कों और पुलियों का मासिक सर्वेक्षण। चेतावनी संकेत: गड्ढों और खतरनाक स्थानों पर बोर्ड और रेलिंग लगाना। रोशनी व्यवस्था: रात के समय सोलर लाइट्स की स्थापना।

जागरूकता अभियान: निवासियों को खतरे के प्रति जागरूक करना।