काफल: पहाड़ों का खट्टा-मीठा खजाना
जब गर्मियों की दस्तक पहाड़ों में होती है, तो जंगलों की हरियाली के बीच एक लालिमा सी दिखने लगती है – ये लाल रंग के छोटे-छोटे फल ही तो हैं, जिन्हें हम प्यार से काफल कहते हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला यह फल न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि पहाड़ी संस्कृति, बचपन की यादों और लोककथाओं का भी अभिन्न हिस्सा है।

क्या है काफल?
काफल Myrica esculenta एक जंगली फल है जो लगभग 1200 मीटर से 2200 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है। यह पेड़ का फल होता है और इसका वैज्ञानिक नाम Myrica esculenta है। इसे अंग्रेजी में box myrtle या Himalayan bayberry भी कहते हैं।
कैसा दिखता है काफल?
आकार में छोटा, चेरी जैसा
रंग: गहरा लाल या जामुनी
स्वाद: खट्टा-मीठा, बेहद रसीला
पकने का मौसम: अप्रैल से जून
काफल को आमतौर पर नमक और मसाले लगाकर खाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी निखर जाता है।
कहां मिलता है काफल?
काफल मुख्यतः उत्तराखंड कुमाऊं और गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के जंगलों में पाया जाता है। कई बार स्थानीय बच्चे जंगलों में जाकर इसे खुद तोड़कर लाते हैं और रास्ते किनारे बैठकर बेचते हैं। यह ना सिर्फ एक स्वाद, बल्कि पहाड़ों की जीविका और परंपरा का हिस्सा है।
लोककथा: "काफल पाको, मैल नि चाखो"
यह प्रसिद्ध लोककहानी उत्तराखंड की है-
एक लड़की जंगल से काफल चुनकर लाती है और घर में रख देती है। जब उसकी मां आती है तो लड़की कहती है — “काफल पाको, मैल नि चाखो”, यानी “काफल तो पक गया लेकिन मैंने खाया नहीं।” दरअसल, किसी और ने चुपके से फल खा लिए होते हैं।
इस भोलेपन और मासूमियत को लेकर यह कहावत पहाड़ी संस्कृति में एक मिसाल बन गई। आज भी यह कहावत उन भावनाओं को दर्शाती है जब मेहनत के बावजूद हमें उसका फल नहीं मिलता।
सेहत के लिए लाभकारी
काफल ना सिर्फ स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है:
विटामिन C से भरपूर
एंटीऑक्सीडेंट्स जो इम्युनिटी बढ़ाते हैं
पाचन में सहायक
शरीर को गर्मियों में ठंडक देने वाला फल
खांसी, जुकाम और बुखार में भी कारगर (लोक चिकित्सा में)
सोशल मीडिया का नया स्टार
अब काफल सिर्फ जंगलों या बाजारों तक सीमित नहीं रहा। इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब व्लॉग्स और फेसबुक पोस्ट्स में पहाड़ी व्लॉगर और लोकसंस्कृति प्रेमी लोग इसके ज़ायके और संस्कृति से दुनिया को जोड़ रहे हैं।
क्या काफल बाज़ार में मिलता है?
हां, लेकिन सीमित मात्रा में। ज्यादातर ये स्थानीय ग्रामीण महिलाएं और बच्चे जंगलों से चुनकर लाते हैं और सड़क किनारे या पहाड़ी कस्बों के हाट-बाजारों में बेचते हैं। कभी-कभार ऑनलाइन भी काफल के ड्राई वर्ज़न (सूखे फल या चटनी) उपलब्ध होते हैं।
काफल सिर्फ एक फल नहीं, एक एहसास है।
ये बचपन की मासूमियत है, जंगल की सैर है, दादी-नानी की कहानियां हैं, और पहाड़ की मिट्टी से जुड़ा एक अनमोल स्वाद है। अगर आप कभी पहाड़ों की यात्रा पर जाएं, तो इस फल का ज़रूर स्वाद लें – हो सकता है, इसका स्वाद आपके दिल को भी छु जाए।