"जोजरी" एक नदी जो रो भी नहीं सकती... फिर भी पुकार रही है – बचाओ मुझे!
राजस्थान की जोजरी नदी आज देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार हो चुकी है। जोधपुर-पाली-बालोतरा के औद्योगिक क्षेत्रों की सैकड़ों टेक्सटाइल व अन्य फैक्ट्रियाँ बिना ट्रीटमेंट का जहरीला पानी सीधे नदी में डाल रही हैं। इससे 50+ गाँवों की हजारों एकड़ जमीन बंजर, भू-जल दूषित, पशु-पक्षी मर रहे हैं और लोगों में कैंसर-श्वास जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। 2025 में थान सिंह डोली और हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में बड़ा आंदोलन हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया, 100-176 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का ऐलान हुआ, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस काम नहीं हुआ। नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है और ग्रामीण न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
जोधपुर/बालोतरा, 5 दिसंबर 2025: राजस्थान की थार मरुस्थल के बीचों-बीच बहने वाली जोजरी नदी, जो कभी ग्रामीणों की जीवन रेखा थी, आज एक जहरीले दलदल में तब्दील हो चुकी है। नागौर जिले के पंडलू गांव से निकलकर जोधपुर को पार करती हुई बालोतरा के पास लूणी नदी में मिलने वाली यह मौसमी नदी अब औद्योगिक कचरे और रासायनिक जल की भेंट चढ़ गई है। जोधपुर, पाली और बालोतरा के औद्योगिक क्षेत्रों से बिना किसी उपचार के छोड़े जाने वाले अपशिष्ट जल ने न केवल नदी को काला कर दिया है, बल्कि इसके किनारे बसे 50 से अधिक गांवों—जैसे डोली, अराबा, कल्याणपुर, मैलबा और धवा—की हजारों एकड़ कृषि भूमि को बंजर बना दिया है। अनुमान है कि इससे 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं, जहां पशु-पक्षी मर रहे हैं, भूजल दूषित हो रहा है और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर बदलाव न के बराबर नजर आ रहा है।
प्रदूषण का काला अध्याय: फैक्ट्रियों का जहर, किसानों का सफाया
जोजरी नदी का प्रदूषण कोई नई समस्या नहीं है। पिछले दो दशकों से जोधपुर के बोरानाडा, सालावास और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों की 400 से अधिक स्टील, टेक्सटाइल और अन्य फैक्ट्रियां अपना अपशिष्ट जल—जिसमें भारी धातुएं जैसे सीसा, क्रोमियम, कैडमियम और नाइट्रेट की घातक मात्रा होती है—बिना ट्रीटमेंट के नदी में उड़ेल रही हैं। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) के अनुसार, जोधपुर में प्रतिदिन 230 मिलियन लीटर से अधिक घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से 180 मिलियन लीटर डिस्चार्ज जोजरी में ही होता है। नतीजा? नदी का पानी काला पड़ गया है, तेजाबी गंध से हवा जहरीली हो गई है और नदी किनारे खड़े होने पर सिरदर्द और उल्टी जैसी परेशानियां आम हो गई हैं।ग्रामीणों की जिंदगी इस जहर की भेंट चढ़ रही है। डोली गांव के किसान श्रवण पटेल बताते हैं, "हमारे खेतों में जोजरी का पानी पहुंचते ही फसलें मुरझा जाती हैं।
नाइट्रेट की अधिकता से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो गई है। पहले यहां सरसों, बाजरा और सब्जियां लहलहाती थीं, अब बंजर रेत ही बची है।" एक रिपोर्ट के मुताबिक, धवा-डोली क्षेत्र में 4,000 से अधिक खेत बंजर हो चुके हैं, 60,000 से अधिक पेड़-पौधे सूख गए हैं और काले हिरणों की संख्या 3,000 से घटकर मात्र 300 रह गई है। पशु चिकित्सक श्रवण सिंह शेखावत के अनुसार, "इस पानी से पशुओं में लीवर, किडनी और तंत्रिका संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। ग्रामीणों में कैंसर, श्वसन रोग और पेट की समस्याएं आम हो गई हैं।" बालोतरा से जोधपुर तक 31 किलोमीटर की दूरी में फैला यह जहर 16 लाख लोगों को प्रभावित कर रहा है, जहां मच्छरों का प्रकोप और दूषित जल से फैलने वाली बीमारियां महामारी का रूप ले रही हैं।पर्यावरण विशेषज्ञ शरद पुरोहित कहते हैं, "जोजरी का पानी अब केवल नदी नहीं, बल्कि एक पारिस्थितिकी आपदा है। भारी धातुओं की मौजूदगी से भूजल दूषित हो रहा है, जो कुओं और तालाबों तक पहुंच गया है। अगर तत्काल उपचार प्लांट न बने, तो पूरा क्षेत्र निर्वासित हो सकता है।" एनजीटी की 2018 की रिपोर्ट ने भी चेतावनी दी थी कि प्रतिदिन 180 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) प्रदूषित अपशिष्ट नदी को नष्ट कर रहा है।
आंदोलन की लहर: थान सिंह डोली और हनुमान बेनीवाल की अगुवाई में जंग
इस बेजुबान नदी की गुहार को आवाज देने वाले स्थानीय नेता थान सिंह डोली ने अगस्त 2025 में डोली टोल प्लाजा पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के बैनर तहत चले इस 'जोजरी बचाओ आंदोलन' में राष्ट्रीय अध्यक्ष और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्रीय भूमिका निभाई। 17 अगस्त को डोली में आयोजित महारैली में हजारों ग्रामीणों ने हिस्सा लिया, जहां बेनीवाल ने कहा, "जोधपुर-पाली की फैक्ट्रियां जोजरी को कब्रिस्तान बना रही हैं। सरकार बताए, कितने एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और सीटीपी (कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाएंगे? अगर स्थायी समाधान नहीं, तो दिल्ली तक लड़ाई जाएगी।"आंदोलन के दौरान थान सिंह डोली को पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन बेनीवाल के हस्तक्षेप से उन्हें रिहा कराया गया। रैली के बाद कलक्टर और एसपी के साथ सकारात्मक वार्ता हुई, जहां अस्थायी नाला बनाने और प्रदूषित जल रोकने का आश्वासन मिला। बेनीवाल ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया, जहां केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से विशेष टीम भेजने की मांग की। नवंबर 2025 में उन्होंने फिर सदन में गलत सरकारी जवाबों पर सवाल उठाए। स्थानीय संगठन 'लूणी जोजरी बचाओ संघर्ष समिति' ने मैलबा गांव में सद्बुद्धि यज्ञ भी किया। ये प्रयास न केवल नदी को बचा रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों में जागरूकता भी फैला रहे हैं।
बजट के वादे और हकीकत: 100 करोड़ का सवाल, कहां गया पैसा?
सरकार ने जोजरी के पुनरुद्धार के नाम पर बड़े-बड़े ऐलान किए। 2023 में 400 करोड़, 2024 में 172.58 करोड़ और 2025-26 में 176 करोड़ रुपये प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवंटित किए गए। मार्च 2024 में लूणी विधायक जोगाराम पटेल (वर्तमान विधि एवं न्याय मंत्री) ने सालावास में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ 172.58 करोड़ की योजना का शिलान्यास किया। फरवरी 2025 में वित्त मंत्री दिया कुमारी ने विधानसभा में 176 करोड़ की योजना की घोषणा की, जिसमें नांदरी-झालामंड में एसटीपी, सीवरेज ट्रंक लाइनें और पंप स्टेशन शामिल हैं। अगस्त 2025 में पटेल ने कहा, "अब जोजरी-लूणी में गंदा पानी नहीं बहेगा।"लेकिन हकीकत कड़वी है। डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) डेढ़ साल बाद बनी, टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन जमीनी काम दो साल बाद ही शुरू होगा। ग्रामीणों का आरोप है कि 100 करोड़ से अधिक का बजट (जिसका जिक्र पटेल ने किया) कागजों पर अटका है। बासनी, उचियाड़ा और सालावास में प्लांट बन रहे हैं, लेकिन क्षमता अपर्याप्त है। जोधपुर कलेक्टर गौरव अग्रवाल कहते हैं, "सैंपल लिए गए हैं, लेकिन फैक्ट्रियां अवैध डिस्चार्ज कर रही हैं।" पटेल ने स्वीकार किया कि ग्रामीण परेशान हैं, लेकिन समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: 9 अक्टूबर का फैसला, उम्मीद की किरण?
सितंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने चिंता जताई कि "नदी में फैक्ट्रियों का कचरा डालने से 20 लाख लोग प्रभावित हैं।" कोर्ट ने राज्य सरकार और आरएसपीसीबी से रिपोर्ट मांगी और 9 अक्टूबर को बड़ा आदेश देने का संकेत दिया। एनजीटी पहले से मामले की निगरानी कर रहा है। ग्राम पंचायत अराबा की याचिका पर सुनवाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट के सख्त निर्देश से फैक्ट्रियों पर सीज और जुर्माना लग सकता है।
भविष्य की राह: न्याय कब मिलेगा, जोजरी कब मुस्कुराएगी?
जोजरी नदी का दर्द इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है, लेकिन समाधान अधर में लटका है। विधि मंत्री जोगाराम पटेल से ग्रामीण पूछते हैं, "आप न्याय दिलाते हैं, लेकिन इस बेजुबान नदी को कब न्याय मिलेगा?" पटेल ने कहा कि साबरमती की तरह जोजरी को निर्मल बनाने में समय लगेगा। बेनीवाल चेताते हैं, "अगर प्रदूषण नहीं रुका, तो आंदोलन तेज होगा।" पर्यावरण प्रेमी श्रवण पटेल जैसे लोग कहते हैं, "हमारी माटी बचाओ, वरना आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।"सरकार को अब कदम उठाने होंगे: अवैध फैक्ट्रियां बंद करें, सीटीपी की क्षमता बढ़ाएं और ग्रामीणों को मुआवजा दें। वरना, जोजरी का जहर पूरे मारवाड़ को निगल जाएगा। यह न केवल पर्यावरण की लड़ाई है, बल्कि जीविका और जीवन की। क्या जोजरी फिर से जीवन दायिनी बनेगी?