जयपुर का मनोज रूस-यूक्रेन जंग में फंसा बंकर से आखिरी 51 सेकंड का वीडियो: "ये मेरा अंतिम हो सकता है" 17 दिन से लापता,परिवार रो-रोकर बुरा हाल.
जयपुर के 28 वर्षीय मनोज सिंह शेखावत रूस में नौकरी के लालच में फंसकर यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना के लिए जबरन लड़ने को मजबूर हुए। 15 अक्टूबर को बंकर से 51 सेकंड का आखिरी वीडियो पत्नी को भेजा, जिसमें डरते हुए कहा – "मुझे लड़ाई में धकेल दिया, यह मेरा अंतिम वीडियो हो सकता है"। 17 दिन से लापता। परिवार रो-रोकर बुरा हाल। एजेंटों के झांसे में फंसे सैकड़ों भारतीय युवा रूस में फंसे हैं। सरकार से सुरक्षित वापसी की गुहार।
जयपुर, 2 नवंबर 2025: रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावहता अब भारतीय घरों तक दस्तक दे रही है। जयपुर के सपूत मनोज सिंह शेखावत, जो बेहतर नौकरी के चक्कर में रूस पहुंचे थे, आज 17 दिनों से लापता हैं। 15 अक्टूबर को रूस के एक ठंडे, अंधेरे बंकर से उन्होंने पत्नी को भेजा 51 सेकंड का वह दिल दहला देने वाला वीडियो, जिसमें उनका चेहरा डर से कांप रहा था। आवाज में सिसकियां छिपी हुईं, और शब्दों में मौत का साया मंडराता नजर आया। "मुझे लड़ाई में धकेल दिया गया है... यह मेरा आखिरी वीडियो हो सकता है," कहते हुए वे बंकर की दीवारों को छूते दिखे, जैसे आखिरी उम्मीद की डोर थामे हों। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है – पत्नी की चीखें, मां के आंसू, और भाइयों की बेचैनी ने पूरा घर शोकमय बना दिया है। लेकिन सच्चाई और भी कड़वी है: मनोज जैसे सैकड़ों भारतीय युवा एजेंटों के जाल में फंसकर रूसी सेना का तोता-उतरा बन चुके हैं।
मनोज की जिंदगी: सपनों से युद्धक्षेत्र तक का सफर
मनोज सिंह शेखावत, 28 वर्षीय जयपुर निवासी, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद स्थानीय स्तर पर छोटी-मोटी नौकरी करते थे, लेकिन आर्थिक तंगी ने उन्हें विदेश की राह दिखाई। अगस्त 2025 में एक एजेंट ने दुबई में 'हाई-पेइंग सिक्योरिटी जॉब' का लालच दिया। 2 लाख रुपये देकर मनोज रूस पहुंचे, सोचकर कि बस 6 महीने में लाखों कमा लेंगे। लेकिन हकीकत कुछ और थी। रूस पहुंचते ही उनका पासपोर्ट छीन लिया गया, और झूठे वादों के तहत 'सैन्य सहायक' का कॉन्ट्रैक्ट साइन करवा दिया – जिसमें एक साल की 'सेवा' का जिक्र था, जो असल में रूसी सेना में जबरन भर्ती का जाल था।रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस सरकार ने पिछले साल से विदेशी 'हेल्पर्स' की भर्ती तेज कर दी है, लेकिन भारतीय दूतावास की चेतावनी के बावजूद एजेंटों का नेटवर्क सक्रिय है। मनोज को मॉस्को के पास एक ट्रेनिंग कैंप में सिर्फ 10-12 दिनों की हथियार ट्रेनिंग दी गई – AK-47 चलाना, ग्रेनेड फेंकना, और बंकर में छिपना। फिर, 10 अक्टूबर को उन्हें यूक्रेन बॉर्डर के करीब भेज दिया गया। वहां डोनेट्स्क क्षेत्र के एक फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात किया गया, जहां यूक्रेनी ड्रोन और आर्टिलरी हमले रोजाना मौत बरसा रहे हैं।
आखिरी वीडियो: डर की परतें खोलता 51 सेकंड का संदेश
15 अक्टूबर, शाम 7 बजे। मनोज ने चुपके से मोबाइल निकाला और पत्नी रीता को वीडियो भेजा। वीडियो में वे कंधे पर राइफल लटकाए, बंकर की मिट्टी से सनी वर्दी में दिखे। पृष्ठभूमि में साथी सैनिकों की फुसफुसाहट और दूर कहीं धमाकों की गूंज। "रीता, सुनो... यहां लड़ाई बहुत तेज है। मुझे आगे धकेल दिया। बंकर में छिपे हैं, लेकिन यूक्रेनी ड्रोन कहीं भी मार सकते हैं। बच्चे को कहना, पापा लौट आएंगे... अगर न आएं तो माफ करना।" आवाज कांप रही थी, आंखों में आंसू थे। वीडियो खत्म होते ही फोन बंद – उसके बाद सन्नाटा।यह वीडियो परिवार ने भारतीय दूतावास को भेजा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वीडियो रूसी सेंसरशिप से बचने के लिए चुपके से रिकॉर्ड किए जाते हैं। मनोज के साथ 14-15 अन्य भारतीय भी फंसे हैं, जिनमें पंजाब, यूपी और राजस्थान के युवा शामिल हैं। एक अन्य साथी, पंजाब सिंह ने बताया, "मनोज को फॉरवर्ड पोस्ट भेजा, 4 दिन बाद संपर्क टूटा। हम सब डरते हैं, लेकिन भागने पर जेल या गोली का डर।"
परिवार का बुरा हाल: आंसुओं की नदी,
जयपुर के शेखावत परिवार का घर आज उदास है। पत्नी रीता, 25 वर्षीय, 2 साल के बेटे के साथ सारी रात रोती रहती हैं। "वो कहा था, बस 6 महीने... अब 17 दिन से खबर नहीं। वीडियो देखकर दिल बैठ जाता है," वे सिसकियां लेते हुए बताती हैं। मां कमला देवी भजन-कीर्तन में खोई रहती हैं, जबकि भाई राजेंद्र रोज दूतावास फोन घुमाते हैं। पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा किया, लेकिन बिना खबर के सब व्यर्थ। परिवार ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखा है, जिसमें मनोज की तत्काल सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई गई है।यह अकेला केस नहीं। 2022 से अब तक 20 से ज्यादा भारतीयों की मौत हो चुकी, 50+ लापता। हाल ही में हरियाणा के सोनू की मौत की पुष्टि हुई, जिनका शव भी विवादास्पद रहा। पंजाब के समरजीत सिंह भी लापता हैं।
सरकार की कार्रवाई: उम्मीद बाकी, लेकिन देरी क्यों?
भारतीय दूतावास मॉस्को ने मामले को संज्ञान में ले लिया है। विदेश मंत्रालय ने रूस से 19 अक्टूबर को ही बात की, जिसमें सभी भारतीयों की रिहाई और भर्ती रोकने की मांग की गई। पीएम मोदी ने जुलाई 2024 में पुतिन से इस मुद्दे पर चर्चा की थी, जिसके बाद 100+ भारतीय लौटे। लेकिन नए केस आ रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, एजेंटों पर सख्ती और जागरूकता अभियान जरूरी।मनोज की कहानी हर भारतीय युवा के लिए चेतावनी है – विदेशी नौकरी के चक्कर में फंसने से पहले जांचें। परिवार की प्रार्थना है: "भगवान, हमारा मनोज लौटा दो।"