ठगी के जाल में फंसा रहे थे लोग: फर्जी नंबरों से सोशल मीडिया पर बनाते अकाउंट, लूट के मोबाइल फोन का लेते थे सहारा - जानवर बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले 4 ठग गिरफ्तार
डीग पुलिस ने जानवर बेचने के नाम पर सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी करने वाले 4 आरोपियों को पकड़ा; 8 चोरी के मोबाइल, फर्जी सिम और बाइक बरामद।
भरतपुर/डीग, 15 नवंबर 2025: राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन ठगी के गिरोह का पर्दाफाश किया है। जानवरों को बेचने के नाम पर सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापनों के जरिए लोगों को ठगने वाले चार आरोपियों को सीकरी थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये आरोपी चोरी या लूटे हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे और फर्जी सिम कार्ड व नंबरों से नकली अकाउंट बनाकर शिकार बनाते थे। गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से आठ मोबाइल फोन, आठ फर्जी सिम कार्ड, एक एटीएम कार्ड और एक बाइक बरामद की गई है। पूछताछ में इनके काले कारनामों का खुलासा हुआ है, जिससे कई पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
घटना का पूरा विवरण: कैसे रचते थे ठगी का जाल? मामला डीग जिले के सीकरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर पशु-पक्षियों (जैसे गाय, भैंस, बकरी या कुत्ते-बिल्लियों) की बिक्री के आकर्षक विज्ञापन जारी कर रहे हैं। ये विज्ञापन इतने लुभावने होते थे कि ग्रामीण इलाकों के लोग आसानी से फंस जाते। आरोपी कम दामों का लालच देकर पीड़ितों से अग्रिम भुगतान मांगते और पैसे मिलते ही गायब हो जाते। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कबूल किया कि वे जानबूझकर चोरी या लूटे हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते थे, ताकि अपनी असली पहचान छिपा सकें। फर्जी सिम कार्ड और नंबरों से वे कई अकाउंट चला रहे थे। एक आरोपी ने बताया, "हम फर्जी आईडी से जानवरों की फोटो चुराकर पोस्ट करते थे। पैसे ट्रांसफर होते ही नंबर ब्लॉक कर देते।" इस गिरोह ने पिछले कुछ महीनों में दर्जनों लोगों को ठगा था, जिसमें ग्रामीण किसान और पशुपालक मुख्य रूप से शिकार बने। गिरफ्तार आरोपियों के नाम और पृष्ठभूमिपुलिस ने चारों आरोपियों को हिरासत में लिया है। इनके नाम इस प्रकार हैं:नसीम (पहला आरोपी): निवासी डायना का वास, डीग।,वकील: निवासी डायना का वास, डीग।,नसीम (दूसरा आरोपी): निवासी सिरौली, हरियाणा।,अफसर: निवासी कंगला का बास, डीग।
ये सभी आरोपी स्थानीय स्तर पर सक्रिय थे और हरियाणा से भी जुड़े हुए थे। इनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है, लेकिन प्रारंभिक पूछताछ से पता चला कि ये पहले भी छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त रहे हैं। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह और भी बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, इसलिए अन्य जिलों में भी जांच तेज कर दी गई है।
जब्त सामान: ठगी के हथियार बरामद गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों की तलाशी ली, जिसमें निम्नलिखित सामान बरामद किया गया:8 मोबाइल फोन: ज्यादातर चोरी या लूटे हुए, जिन्हें ठगी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।, फर्जी सिम कार्ड: इनसे फर्जी अकाउंट और कॉल्स की जा रही थीं।,1 एटीएम कार्ड: संभवतः ठगे गए पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल।,1 बाइक: आरोपी इसी पर घूम-फिरकर शिकार तलाशते थे। ये सामान ठगी के पूरे सर्किट का हिस्सा थे। फॉरेंसिक टीम इन मोबाइल और सिम की जांच कर रही है, ताकि ठगी की पूरी चेन और पीड़ितों की लिस्ट निकाली जा सके।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच; डीग जिले के एसपी (पुलिस अधीक्षक) ने बताया कि सोशल मीडिया पर बढ़ रही साइबर ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सीकरी थाना प्रभारी ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी की, जिसमें आरोपी एक सुनसान जगह पर मिले। सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस ने पीड़ितों से अपील की है कि वे आगे आकर शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा, डीग पुलिस ने जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है, जिसमें ग्रामीणों को फर्जी विज्ञापनों से सावधान रहने की सलाह दी जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में हमेशा विक्रेता की सत्यापन करना जरूरी है, जैसे वीडियो कॉल या व्यक्तिगत मुलाकात।
सोशल मीडिया ठगी का बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों की राय देशभर में ऑनलाइन ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि फर्जी अकाउंट और चोरी के डिवाइस का इस्तेमाल अपराधियों को ट्रेस करना मुश्किल बना देता है। राजस्थान में ही पिछले साल सैकड़ों ऐसे मामले दर्ज हुए, जिनमें पशु व्यापार से जुड़े ठगी प्रमुख थे। पुलिस ने सलाह दी है कि कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करने से पहले सत्यापन जरूरी है।