बाड़मेर में सियासी हलचल: रविंद्र सिंह भाटी और अमीन खान की मुलाकात, पंचायती राज चुनावों पर नजर
बाड़मेर में सियासी हलचल तेज, निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने ईद पर कांग्रेस नेता अमीन खान से मुलाकात की। यह मुलाकात पंचायती राज चुनावों के लिए रणनीतिक गठजोड़ का संकेत दे रही है। दोनों नेताओं की सियासी ताकत क्षेत्र में नया समीकरण बना सकती है।

राजस्थान के बाड़मेर जिले में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। शिव विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने ईद के मौके पर 7 जून को कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक अमीन खान के गांव देतानी में उनके निवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात भले ही शिष्टाचार भेंट बताई जा रही हो, लेकिन आगामी पंचायती राज चुनावों के मद्देनजर इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इस मुलाकात ने बाड़मेर की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दिया है।
जयहिंद सभा विवाद और अमीन खान की सक्रियता
हाल ही में बाड़मेर में हुई कांग्रेस की जयहिंद सभा के दौरान अमीन खान और उनके समर्थकों को लेकर विवाद सुर्खियों में रहा था। सभा में कांग्रेस के बड़े नेताओं से मिलने की कोशिश में अमीन खान और मेवाराम जैन के समर्थक एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन नेताओं के रास्ता बदलने से नाराजगी की खबरें सामने आईं। इसके बाद अमीन खान ने जयपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ से मुलाकात की। उनकी दिल्ली यात्रा ने भी सियासी हलकों में हलचल मचाई, जिससे उनके अगले कदम को लेकर अटकलें तेज हो गईं।
ईद पर मुलाकात, सियासी गलियारों में चर्चा
ईद के अवसर पर रविंद्र सिंह भाटी ने अमीन खान के निवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की। मारवाड़ी परंपरा में भाटी का पट्टू ओढ़ाकर स्वागत किया गया। भाटी ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात को औपचारिक बताया, लेकिन सियासी विश्लेषक इसे पंचायती राज चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों के साथ एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, "थार की अपनायत इन तस्वीरों में झलकती है।"
गौरतलब है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अमीन खान को हराया था। इसके बावजूद, 2024 के लोकसभा चुनाव में अमीन खान ने भाटी का समर्थन किया, जिसके चलते उन्हें कांग्रेस से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
पंचायती राज चुनावों में नया गठजोड़?
बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में 2 लाख से अधिक अल्पसंख्यक वोटरों पर अमीन खान की मजबूत पकड़ है, जबकि भाटी युवाओं और राजपूत समुदाय में लोकप्रिय हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात पंचायती राज चुनावों के लिए रणनीतिक गठजोड़ का संकेत हो सकती है। पानी की कमी, बेरोजगारी और अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे मुद्दे इस चुनाव में अहम रहेंगे। भाटी इन मुद्दों को पहले भी उठाते रहे हैं, और अमीन खान का अनुभव उनकी रणनीति को और मजबूती दे सकता है।
सियासी समीकरण और भविष्य
यह मुलाकात कई सवाल खड़े कर रही है। क्या भाटी और खान मिलकर पंचायती राज चुनावों में नया समीकरण बनाएंगे? क्या यह कांग्रेस और भाजपा के लिए चुनौती बनेगा? 2024 के लोकसभा चुनाव में भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दोनों दलों को कड़ी टक्कर दी थी। वहीं, अमीन खान की कांग्रेस से नाराजगी और उनकी हालिया गतिविधियां उनके सियासी मंसूबों को दर्शाती हैं।
भाटी और खान की मुलाकात ने बाड़मेर की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। यह मुलाकात भले ही ईद की औपचारिकता हो, लेकिन इसके पीछे सियासी रणनीति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पंचायती राज चुनावों में यह जोड़ी क्या कमाल दिखाएगी, यह समय बताएगा, लेकिन बाड़मेर की सियासत में यह मुलाकात चर्चा का केंद्र बनी रहेगी।