हादसे का दर्दनाक चित्रण: खिड़की से थूकने की कोशिश में 17 साल के नाबालिग की सिर एम्बुलेंस से टकराया, धड़ से अलग हो गया सिर

बारमेर में प्राइवेट बस की लास्ट सीट पर बैठे 17 साल के रहमतुल्लाह ने थूकने को सिर खिड़की से बाहर निकाला, सामने से आ रही पशु एम्बुलेंस से टकराकर सिर धड़ से अलग हो गया; पिता की दवाई लेने जा रहा था लड़का।

Nov 13, 2025 - 16:30
हादसे का दर्दनाक चित्रण: खिड़की से थूकने की कोशिश में 17 साल के नाबालिग की सिर एम्बुलेंस से टकराया, धड़ से अलग हो गया सिर

बारमेर, राजस्थान (13 नवंबर 2025): एक ऐसी त्रासदी जो किसी की भी रूह कांपा दे, राजस्थान के बारमेर जिले में चौहटन-धनाऊ सड़क पर एक प्राइवेट बस में सफर कर रहे 17 साल के नाबालिग लड़के की जान चली गई। थूकने के लिए खिड़की से सिर बाहर निकालते ही सामने से गुजर रही सरकारी पशु एम्बुलेंस से जोरदार टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि लड़के का सिर धड़ से अलग हो गया और सड़क पर लुढ़क गया। पूरी बस में खून की होली खेल गई, चीख-पुकार मच गई। यह हादसा दोपहर करीब 12 बजे आलमसर गांव के पास हुआ, जब लड़का अपने पिता की दवाई लेने बाड़मेर जा रहा था।

पीड़ित की पहचान और घटना का क्रम;  मृतक लड़के का नाम रहमतुल्लाह (17 वर्ष) था, जो बिसासर गांव का निवासी था। वह सुलेमान का पुत्र था। परिवार के अनुसार, रहमतुल्लाह अपने पिता की बीमारी के चलते उनकी दवाई लाने निकला था। दोपहर करीब 12 बजे वह बिसासर से एक प्राइवेट बस में सवार होकर बाड़मेर की ओर रवाना हुआ। बस में वह सबसे पिछली सीट पर अकेला बैठा था, शायद जगह की कमी के कारण या फिर बस के अन्य यात्रियों से अलग रहने की वजह से। यात्रा के दौरान, आलमसर गांव के पास पहुंचते ही उसे थूकने की जरूरत महसूस हुई। बिना किसी हिचकिचाहट के उसने खिड़की से सिर बाहर निकाला।इसी बीच, सामने से एक सरकारी पशु एम्बुलेंस तेज रफ्तार में आ रही थी। एम्बुलेंस पशुओं के इलाज के लिए जिला अस्पताल से लौट रही थी, जैसा कि प्रारंभिक जांच में पता चला है। प्राइवेट बस और एम्बुलेंस के ड्राइवरों के बीच सड़क संकरी होने के कारण दोनों वाहन एक-दूसरे के बहुत करीब से गुजर रहे थे। बस की पिछली खिड़की और एम्बुलेंस के साइड पैनल के बीच महज कुछ इंच का फासला था। इसी फासले में रहमतुल्लाह का सिर एम्बुलेंस की धातु की चादर से जोरदार तरीके से टकरा गया।टक्कर की तीव्रता इतनी अधिक थी कि सिर धड़ से पूरी तरह अलग हो गया। सिर सड़क पर कुछ दूर तक लुढ़कता हुआ गिर पड़ा, जबकि धड़ बस की पिछली सीट पर ही धड़ाम से गिर गया। बस के अंदर खून की धार बहने लगी, जो सीटों, फर्श और आसपास के यात्रियों के कपड़ों तक फैल गई। एक प्रत्यक्षदर्शी यात्री ने बताया, "अचानक एक जोरदार आवाज आई, जैसे कोई चीज फट गई हो। जब हमने पीछे देखा, तो लड़के का सिर गायब था और खून की फुहारें उड़ रही थीं। सबके मुंह से चीखें निकल पड़ीं। ड्राइवर ने बस रोकी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।"

हादसे के बाद अफरा-तफरी का माहौल;  हादसे के तुरंत बाद सड़क पर हाहाकार मच गया। बस के अन्य यात्री घबरा गए, कुछ लोग उल्टी करने लगे, तो कुछ चीखते-चिल्लाते उतर पड़े। एम्बुलेंस के चालक ने भी वाहन रोका और मौके पर पहुंचे। सड़क पर सिर पड़ा देखकर लोगों के होश उड़ गए। स्थानीय ग्रामीणों ने शव को ढकने की कोशिश की, लेकिन खून की भयावहता देखकर कोई भी करीब जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।पुलिस को सूचना मिलते ही चौहटन थाने की टीम मौके पर पहुंची। फॉरेंसिक टीम ने सिर और धड़ को एकत्रित किया। प्रारंभिक जांच में साफ हो गया कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी, जिसमें लापरवाही दोनों पक्षों की हो सकती है। बस ड्राइवर का कहना है कि एम्बुलेंस तेज स्पीड में थी, जबकि एम्बुलेंस चालक ने आरोप लगाया कि बस ने ओवरटेक करने की कोशिश की थी। दोनों वाहनों को जब्त कर लिया गया है, और ड्राइवरों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।मौके पर पहुंचे डॉक्टरों ने रहमतुल्लाह को मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बाड़मेर जिला अस्पताल भेज दिया गया। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि मौत सिर के धड़ से अलग होने के कारण तत्काल हो गई थी। कोई अन्य यात्री या एम्बुलेंस स्टाफ को चोट नहीं आई।

परिवार का शोक और सामाजिक प्रतिक्रिया;  रहमतुल्लाह के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता सुलेमान, जो पहले से बीमार चल रहे थे, इस खबर को सुनकर बेहोश हो गए। परिवार के अन्य सदस्यों ने बताया कि रहमतुल्लाह घर का इकलौता बेटा था और पढ़ाई में होनहार था। वह 12वीं कक्षा में था और भविष्य में डॉक्टर बनने का सपना देखता था। "वह दवाई लाने गया था, ताकि मैं ठीक हो सकूं। अब कौन मेरी देखभाल करेगा?" सुलेमान ने रोते हुए कहा। गांव वालों ने परिवार को सांत्वना दी और हादसे की निष्पक्ष जांच की मांग की। जिला कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बसों में पिछली सीटों पर चेतावनी चिन्ह लगाए जाने चाहिए, जैसे "खिड़की से सिर बाहर न निकालें"।