बांसवाड़ा में 12 करोड़ की साइबर ठगी का सनसनीखेज खुलासा: किराना दुकानदार बना साइबर ठगों का मास्टरमाइंड, हवाला से दुबई पहुंचा पैसा
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक साधारण किराना दुकान चलाने वाला 28 वर्षीय अमन कलाल देशभर में डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार निवेश के नाम पर हुई 12 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मास्टरमाइंड निकला। इस सनसनीखेज मामले में यस बैंक के डिप्टी मैनेजर मेगनेश जैन और पूर्व बैंक कर्मचारी दिव्यांशु सिंह की भी अहम भूमिका सामने आई है।

बांसवाड़ा, राजस्थान: एक किराना स्टोर चलाने वाला 28 वर्षीय अमन कलाल देशभर में डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार निवेश के नाम पर हुई साइबर ठगी का मास्टरमाइंड निकला। अमन ने करीब 60 लोगों से 12 करोड़ रुपये की ठगी की, जिसे यस बैंक के डिप्टी मैनेजर मेगनेश जैन और पूर्व बैंक कर्मचारी दिव्यांशु सिंह की मदद से निष्क्रिय बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। इसके बाद यह रकम कैश निकालकर हवाला के जरिए दुबई भेजी गई। पुलिस ने मेगनेश और दिव्यांशु को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अमन फरार है। सूत्रों के मुताबिक, यह ठगी का आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
20 अप्रैल 2025 को बांसवाड़ा के डकूका गांव के संदेश शाह और उनके भाई तनेश शाह साइबर थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनका यस बैंक का खाता बंद करवाया जा चुका था, लेकिन उन्हें साइबर पुलिस का फोन आया कि उनके खाते में ठगी का पैसा जमा हुआ है और खाता फ्रीज किया जाएगा। इस शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की, जिससे 11 निष्क्रिय खातों में करोड़ों रुपये के ट्रांजैक्शन का खुलासा हुआ। चौंकाने वाली बात यह थी कि ये खाते बंद होने के बावजूद सक्रिय थे, और चेक व एटीएम के जरिए पैसे निकाले जा रहे थे।
पुलिस जांच और गिरोह का खुलासा
कोतवाली थानाधिकारी देवीलाल मीणा के नेतृत्व में पुलिस ने गहन जांच की। पड़ताल में बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई। यस बैंक के डिप्टी मैनेजर मेगनेश जैन और पूर्व कर्मचारी दिव्यांशु सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। पूछताछ से पता चला कि परतापुर गढ़ी का अमन कलाल इस साइबर ठगी के गिरोह का सरगना है। अमन, मेगनेश, और दिव्यांशु सभी परतापुर के ही रहने वाले हैं।
ठगी के नेटवर्क की भूमिकाएं
अमन कलाल (मास्टरमाइंड): परतापुर में किराना और खाद-बीज की दुकान चलाने वाला अमन दुबई से संचालित साइबर ठगी गिरोह से जुड़ा था। उसने निष्क्रिय खातों का इस्तेमाल ठगी का पैसा ठिकाने लगाने के लिए किया। अमन फर्जी साइन वाले चेक बैंक में भिजवाता और निकाले गए पैसे हवाला के जरिए दुबई भेजता। वह हाल ही में पत्नी के साथ दुबई ट्रिप पर गया था, जहां उसने ठगी से कमाए पैसों से ऐशो-आराम की जिंदगी जी। दोस्तों में उसका निकनेम 'पैसे वाला' था।
मेगनेश जैन (डिप्टी मैनेजर, यस बैंक): मेगनेश ने खातों में ट्रांजैक्शन पर 10-15% कमीशन लिया। उसने अमन को बैंक ऑडिट से बचने के टिप्स दिए, जैसे एक खाते से एक दिन में 10 लाख से ज्यादा न निकालना। मेगनेश छोटी रकम के चेक फर्जी साइन से क्लियर करता और मैसेज अलर्ट बंद कर देता, ताकि खाताधारकों को भनक न लगे।
दिव्यांशु सिंह (पूर्व बैंक कर्मचारी): डकूका का रहने वाला दिव्यांशु 2022 तक यस बैंक में अस्थाई कर्मचारी था। उसने खाता खुलवाने के टारगेट में कई परिचितों के खाते खुलवाए। नौकरी छोड़ने के बाद, जब लोग खाते बंद करवाने आए, तो उसने उनके पासबुक, चेक बुक, और एटीएम रख लिए और खाते बंद होने का झांसा दिया। ये दस्तावेज उसने अमन को सौंपे।
ठगी का तंत्र
निष्क्रिय खातों का दुरुपयोग: गिरोह ने 11 निष्क्रिय खातों का इस्तेमाल किया, जिनमें कुछ महीनों में 12 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। खाताधारकों को ट्रांजैक्शन की जानकारी नहीं मिलती थी, क्योंकि मेगनेश ने मैसेज अलर्ट बंद कर दिए थे।
पैसे निकालने की रणनीति: अमन ने 5 लोगों की टीम बनाई, जो रोजाना लाखों रुपये निकालने के लिए बैंक जाती थी। सीसीटीवी फुटेज और ट्रांजैक्शन टाइमिंग से इसकी पुष्टि हुई।
हवाला से दुबई: निकाले गए पैसे अमन हवाला के जरिए दुबई भेजता था, जिससे ठगी का पैसा अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तक पहुंचता।
पकड़ में कैसे आया?
पुलिस ने संदेश और तनेश शाह की शिकायत के बाद खातों की जांच की। सीसीटीवी फुटेज, ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड, और बैंक कर्मचारियों से पूछताछ से गिरोह का खुलासा हुआ। 11 राज्यों में इस गिरोह के खिलाफ 44 शिकायतें दर्ज हैं, जो डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार निवेश के नाम पर ठगी से जुड़ी हैं।
आगे की कार्रवाई
पुलिस अमन कलाल की तलाश में छापेमारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, ठगी की रकम 12 करोड़ से कहीं ज्यादा हो सकती है।
मेगनेश और दिव्यांशु से पूछताछ जारी है, ताकि नेटवर्क के अन्य सदस्यों और दुबई कनेक्शन का पता लगाया जा सके।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे साइबर ठगी से सावधान रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर भरोसा न करें। शिकायत के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (cybercrime.gov.in) या हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।