शौचालय से अदालत तक: वर्चुअल सुनवाई में हदें पार, वायरल वीडियो ने मचाया हंगामा
20 जून को गुजरात हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में 'समद बैटरी' नामक व्यक्ति टॉयलेट से पेश हुआ, जिसका वीडियो वायरल हो गया। इस घटना ने कोर्ट की गरिमा पर सवाल उठाए और वर्चुअल सुनवाई में अनुशासनहीनता को उजागर किया।

गुजरात हाईकोर्ट की एक वर्चुअल सुनवाई के दौरान 20 जून को एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने न केवल अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि सोशल मीडिया पर तीखी बहस को भी जन्म दिया। जस्टिस निरजर एस. देसाई की बेंच के समक्ष चल रही इस सुनवाई में ‘समद बैटरी’ नाम से लॉगइन करने वाला एक व्यक्ति टॉयलेट में बैठकर कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुआ। यह शर्मनाक दृश्य कैमरे में कैद हो गया और अब वायरल वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।
वीडियो में क्या दिखा?
वायरल वीडियो में व्यक्ति को शुरू में ब्लूटूथ इयरफोन पहने हुए देखा गया। लेकिन जैसे ही उसने अपने मोबाइल का कैमरा एडजस्ट किया, यह स्पष्ट हुआ कि वह शौचालय में बैठा हुआ है। वीडियो में वह खुद को साफ करते हुए, फ्लश का उपयोग करते हुए और फिर पैंट पहनकर वॉशरूम से बाहर निकलते हुए दिखाई देता है। इसके बाद वह किसी अन्य कमरे से सुनवाई में दोबारा शामिल हुआ। इस एक मिनट के वीडियो ने न केवल कोर्ट की गंभीरता पर सवाल उठाए, बल्कि वर्चुअल सुनवाई में अनुशासन की कमी को भी उजागर किया।
मामला क्या था?
कोर्ट रिकॉर्ड्स के अनुसार, यह व्यक्ति एक आपराधिक मामले में मूल शिकायतकर्ता था और एक याचिका में प्रतिवादी के रूप में पेश हुआ, जिसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने की मांग की गई थी। दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते के बाद, अदालत ने एफआईआर को रद्द कर दिया। हालांकि, इस व्यक्ति का टॉयलेट से सुनवाई में शामिल होना चर्चा का मुख्य विषय बन गया।
सोशल मीडिया पर हंगामा
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया, खासकर X पर तेजी से वायरल हुआ। यूजर @advsanjoy ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “क्या हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि कम से कम वादी सुनवाई के दौरान शौच तो न करें? हे भगवान! ???” इस पोस्ट को 65,000 से अधिक बार देखा गया और 500 से ज्यादा लाइक्स मिले। कई यूजर्स ने इसे कोर्ट की गरिमा के खिलाफ बताया, जबकि कुछ ने इसे फर्जी होने का दावा किया। एक यूजर ने लिखा, “यह कोर्ट की अवमानना है, ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” वहीं, कुछ ने इसे हास्यास्पद बताते हुए मेम्स शेयर किए।
यह पहली बार नहीं
वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुशासनहीनता का यह पहला मामला नहीं है। अप्रैल 2025 में, गुजरात हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सिगरेट पीने के लिए ₹50,000 का जुर्माना लगाया था। मार्च 2025 में, दिल्ली की एक अदालत ने भी एक व्यक्ति को वर्चुअल सुनवाई के दौरान धूम्रपान करने के लिए तलब किया था। इसके अलावा, मार्च में गुजरात हाईकोर्ट ने ही एक अन्य व्यक्ति, धवलभाई पटेल, को टॉयलेट से सुनवाई में शामिल होने के लिए ₹2 लाख का जुर्माना और सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई थी।
कोर्ट की गरिमा पर सवाल
कोविड-19 महामारी के बाद से गुजरात हाईकोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई की सुविधा शुरू की थी, जिसके तहत वकील और वादी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं। इन सुनवाई को कोर्ट के यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम भी किया जाता है। हालांकि, बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं ने वर्चुअल कोर्ट की गंभीरता और अनुशासन पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने वालों के लिए सख्त दिशानिर्देश और तकनीकी प्रशिक्षण की जरूरत है।