डिलीवरी बॉय को नंगा कर पीटा, अपमानित कर मुंह पर पेशाब किया, तीन बदमाश गिरफ्तार

फरीदाबाद में बदमाशों ने एक डिलीवरी बॉय को तब तक पीटा, जब तक वो बेहोश नहीं हो गया. ये मामला यहीं नहीं थमी, जब वो बेहोश हो गया तो उसके कपड़े उतारे और चेहरे समेत पूरे शरीर पर पेशाब किया। बता दे देर रात 2 बजे ,24 साल का सत्यम दुबे, एक फूड डिलीवरी बॉय, अपनी बाइक पर सेहतपुर के नए पुल के पास एक ऑर्डर डिलीवर करने पहुंचा। दिन-रात मेहनत कर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमाने वाला सत्यम शायद नहीं जानता था कि यह रात उसकी जिंदगी का सबसे काला अध्याय बनने वाली है।
ऑर्डर देने के बाद सत्यम अपने दोस्त विक्रांत से मिला, जो उसी तरह एक डिलीवरी बॉय था। दोनों हंसते-बोलते वापस लौट रहे थे, जब अचानक सेहतपुर के सुनसान रास्ते पर कुछ बदमाशों ने उन्हें घेर लिया। इससे पहले कि सत्यम कुछ समझ पाता, लाठी-डंडों की बौछार शुरू हो गई। उसने चीखकर मदद मांगी, लेकिन सड़क सुनसान थी, और उसकी आवाज अंधेरे में गुम हो गई।
क्रूरता की हद: इंसानियत का अपमान
विक्रांत ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन बदमाशों की संख्या बढ़ती गई। विक्रांत किसी तरह भाग निकला और पुलिस को सूचना दी, लेकिन सत्यम उनके चंगुल में फंस चुका था। बदमाश उसे बाइक पर एक सुनसान जगह ले गए। वहां दो घंटे तक उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। जब वह दर्द से चीखता-गिड़गिड़ाता रहा, तब भी उन हैवानों का दिल नहीं पसीजा। सत्यम के बेहोश होने के बाद उन्होंने इंसानियत की सारी हदें पार कर दीं—उसके कपड़े फाड़े और उसके चेहरे और शरीर पर पेशाब कर दिया और उसकी जेब से 6,000 रुपये भी लूट लिए गए। सत्यम का शरीर चोटों से लथपथ था, उसका चेहरा खून और अपमान के आंसुओं से भीगा था। एक मेहनती गिग वर्कर, जो रात-दिन मेहनत कर अपने परिवार का पेट पालता था, उस रात सिर्फ इसलिए टूट गया क्योंकि वह गलत वक्त पर गलत जगह था।
पुलिस की कार्रवाई, लेकिन दर्द का क्या?
विक्रांत की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और सत्यम को अस्पताल ले जाया गया। उसकी हालत देख डॉक्टरों की आंखें भी नम हो गईं। फरीदाबाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों—बॉबी, दीपक, और धीरज—को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह गिरफ्तारियां सत्यम के जख्मों को भर पाएंगी? क्या वे उस अपमान को मिटा पाएंगी, जो उसकी आत्मा पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया?
गिग वर्कर्स का अनसुना दर्द
सत्यम की कहानी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि उन लाखों गिग वर्कर्स की चीख है, जो रात-दिन सड़कों पर दौड़ते हैं ताकि हमारी जिंदगी आसान हो। ये डिलीवरी बॉय, ड्राइवर्स, और सर्विस प्रोवाइडर्स हमारे लिए भोजन, सामान, और सुविधाएं लाते हैं, लेकिन बदले में क्या पाते हैं? असुरक्षा, अपमान, और कभी-कभी अपनी जान का खतरा। सत्यम की मां ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा तो सिर्फ अपने काम पर गया था। उसने किसी का क्या बिगाड़ा था?”
सोशल मीडिया पर सत्यम की कहानी वायरल हो रही है। लोग गुस्से में हैं। एक यूजर ने लिखा, “ये गिग वर्कर्स हमारे लिए रात-दिन मेहनत करते हैं, और बदले में उन्हें ये मिलता है? कहां जा रहा है हमारा समाज?” एक अन्य ने लिखा, “सत्यम का दर्द हम सबका दर्द है। हमें इन मेहनती लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ करना होगा।”
सवाल जो गूंज रहे हैं ?
यह घटना सिर्फ एक क्राइम की कहानी नहीं, बल्कि हमारे समाज की सड़ती मानसिकता का आलम है। क्या सत्यम का अपमान सिर्फ तीन आरोपियों की करतूत है, या हमारी उदासीनता का नतीजा? गिग वर्कर्स, जो हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं, क्या उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी नहीं? सत्यम आज अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है, लेकिन उसका दर्द हमें एक सवाल छोड़ गया—क्या हम अपने मेहनती नायकों के लिए आवाज उठाएंगे, या फिर चुपचाप अगली खबर का इंतजार करेंगे?