झाड़ियों से मिली खून से सनी नवजात बच्ची, चींटियां चल रही थीं शरीर पर महिला ने सुनकर बचाई जान .
बांसवाड़ा के गढ़ी क्षेत्र के बोरी गांव में गुरुवार शाम झाड़ियों में गत्ते के डिब्बे से एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची खून से लथपथ थी और उसके शरीर पर चींटियाँ चल रहीहा थीं। रोने की आवाज सुनकर गुजर रही महिला प्रेमा ने बच्ची को बचाया और परतापुर अस्पताल पहुँचाया। प्री-मेच्योर बच्ची को साँस की तकलीफ के कारण बांसवाड़ा MG अस्पताल रेफर किया गया। फिलहाल बच्ची खतरे से बाहर है। परिजनों का पता नहीं चला। पिछले एक साल में जिले में ऐसे 5 नवजात मिल चुके हैं।
बांसवाड़ा:- राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गढ़ी तहसील के बोरी गांव के पास गुरुवार शाम करीब 7 बजे झाड़ियों में गत्ते के डिब्बे से एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची पूरी तरह खून से सनी हुई थी और उसके शरीर पर सैकड़ों चींटियां चल रही थीं। रोने की आवाज सुनकर वहां से गुजर रही एक महिला ने बच्ची को बचाया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया।महिला प्रेमा ने बताया कि वह पैदल बोरी गांव जा रही थी। तभी झाड़ियों से बच्चे के जोर-जोर से रोने की आवाज आई। उसने आसपास देखा तो एक गत्ते का डिब्बा दिखा। डिब्बा खोलते ही उसका दिल बैठ गया। अंदर एक नवजात बच्ची थी जिसका पूरा शरीर खून से लथपथ था और चींटियां उस पर चढ़ी हुई थीं। प्रेमा ने फौरन बच्ची को बाहर निकाला, कपड़े से साफ किया और ग्रामीणों की मदद से 108 एंबुलेंस बुलाकर परतापुर सरकारी अस्पताल पहुंचाया।
परतापुर अस्पताल में बच्ची को देखते ही डॉक्टरों ने उसे वार्मर पर रखा। बच्ची को सांस लेने में गंभीर परेशानी थी। प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए महात्मा गांधी सरकारी अस्पताल, बांसवाड़ा रेफर कर दिया गया। गढ़ी थाना प्रभारी एएसआई मांगीलाल मीणा ने बताया कि बच्ची देर रात बांसवाड़ा रेफर कर दी गई। अभी तक बच्ची के माता-पिता या परिजनों का कोई पता नहीं चल सका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।एमजी अस्पताल बांसवाड़ा में बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. रामेश्वर निनामा ने बताया, “बच्ची प्री-मेच्योर है और उसका जन्म महज 6-7 घंटे पहले हुआ प्रतीत होता है। सांस लेने में काफी दिक्कत थी, इसलिए उसे तुरंत वार्मर पर रखा गया। अभी वह खतरे से बाहर है और हालत स्थिर है।” डॉक्टरों का अनुमान है कि डिलीवरी आसपास के किसी निजी या सरकारी अस्पताल में ही हुई होगी, क्योंकि इतने कम समय में किसी ने घर पर डिलीवरी कर बच्ची को फेंकना मुश्किल है।जिला बाल अधिकारिता एवं सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार पिछले एक साल में बांसवाड़ा जिले में ऐसे 5 नवजात मिल चुके हैं। इनमें से तीन नवजात ठीक उसी तरह झाड़ियों या सुनसान जगहों पर बदहाल हालत में मिले थे, जबकि दो को पालना गृह में छोड़ा गया था। एमजी अस्पताल के पालना गृह में ही पिछले महीने 2 नवंबर को भी एक नवजात मिला था।फिलहाल बच्ची अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में है। पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी परिजनों की तलाश कर रही है। अगर परिजन नहीं मिले तो बच्ची को बाल कल्याण समिति के माध्यम से गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।