बांग्लादेश-नेपाल-पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल से अलवर के प्याज किसानों पर संकट: 500 करोड़ का नुकसान, गोदामों की कमी से आत्महत्या के कगार पर
बांग्लादेश-नेपाल की राजनीतिक उथल-पुथल से अलवर के प्याज किसानों को 500 करोड़ का नुकसान; निर्यात बंद, गोदाम न होने से फसल सड़ रही, किसान आत्महत्या को मजबूर।
बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान में हालिया राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट की घटनाओं ने भारत के प्याज निर्यात को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसका सबसे बड़ा खामियाजा राजस्थान के अलवर जिले के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। अलवर, जो देश की दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी के रूप में जाना जाता है, यहां के हजारों किसानों को पिछले कुछ महीनों में करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। पिछले साल जहां अलवर की लाल प्याज ने 700 करोड़ रुपये का व्यापार किया था, वहीं इस साल यह आंकड़ा घटकर महज 200 करोड़ रह गया है। निर्यात बंद होने से बाजार में प्याज के दाम 1 से 8 रुपये प्रति किलो तक गिर चुके हैं, जबकि विदेशी बाजारों में यही प्याज 70 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रही है। ऊपर से आधुनिक गोदामों की भारी कमी के कारण फसल सड़ रही है, जिससे किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या जैसी चरम कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं।
संकट की जड़: राजनीतिक उथल-पुथल और निर्यात प्रतिबंध बांग्लादेश में अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई अंतरिम सरकार ने भारत से प्याज आयात पर अचानक रोक लगा दी। इसी तरह, नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के बीच सीमा पर व्यापार बाधित हो गया, जबकि पाकिस्तान के साथ पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के कारण निर्यात सीमित था। इन देशों में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं—बांग्लादेश में 100 रुपये प्रति किलो, नेपाल में 70-100 रुपये, और पाकिस्तान में 200 रुपये प्रति किलो। लेकिन भारतीय किसानों के लिए ये बाजार अब बंद हैं।केंद्रीय सरकार ने भी घरेलू बाजार को स्थिर रखने के नाम पर अप्रैल 2024 से प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, जो बार-बार बढ़ाया जा रहा है। इसका असर अलवर जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। अलवर में हर साल करीब 5-6 लाख टन लाल प्याज का उत्पादन होता है, जो मुख्य रूप से निर्यात पर निर्भर रहता है। इस साल फसल अच्छी हुई, लेकिन बाजार की कमी से किसान परेशान हैं। जिला कृषि अधिकारी के अनुसार, "निर्यात बंद होने से 80% प्याज का बाजार प्रभावित हुआ है। किसानों की लागत 15-20 रुपये प्रति किलो है, लेकिन बिक्री 5-8 रुपये में हो रही है।"
अलवर: प्याज की राजधानी जो संकट में डूब रही अलवर राजस्थान का एक प्रमुख कृषि जिला है, जहां रामगढ़, राजगढ और कठूमर जैसे क्षेत्रों में लाल प्याज की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यह मंडी न केवल राजस्थान बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए भी केंद्र है। 2023-24 में यहां 700 करोड़ का कारोबार हुआ था, लेकिन 2024-25 में यह 200 करोड़ पर सिमट गया। नुकसान का अनुमान 500 करोड़ से अधिक है, जिसमें फसल सड़ने और कीमत गिरने का हिसाब शामिल है।किसान ने बताया, "हमारी फसल बर्बाद हो रही है। एक एकड़ में 10-12 टन प्याज लगता है, लागत 1.5-2 लाख रुपये। लेकिन अब 2-3 हजार रुपये में ही बिक रहा है। कई किसान कर्ज चुकाने को बेचैन हैं।" एक स्थानीय किसान, हरि सिंह ने दर्द बयां करते हुए कहा, "बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च—सब रुक गया। गोदाम न होने से प्याज सड़कर नाले में बहा रहे हैं। आत्महत्या ही एकमात्र रास्ता लगता है।"
गोदामों की कमी: फसल बचाने का कोई इंतजाम नहीं देश में प्याज भंडारण की भारी कमी है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल 7.5 मिलियन टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज हैं, लेकिन प्याज के लिए विशेष सुविधा वाले महज 20% हैं। अलवर में तो एक भी आधुनिक गोदाम नहीं है जो नमी और तापमान नियंत्रित कर सके। प्याज को 0-5 डिग्री सेल्सियस और 65-70% नमी में रखना जरूरी है, लेकिन यहां पारंपरिक ढेरों में फसल खराब हो जाती है।विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय पर गोदाम बनाए जाते, तो 30-40% नुकसान बच सकता था। राजस्थान सरकार ने 2023 में 500 करोड़ के गोदाम प्रोजेक्ट की घोषणा की थी, लेकिन अब तक जमीनी काम शुरू नहीं हुआ। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर निर्यात प्रतिबंध नहीं हटा, तो अगले साल किसान प्याज की खेती छोड़ देंगे।
प्रभाव: आर्थिक तबाही और सामाजिक संकट इस संकट से न केवल किसान, बल्कि मजदूर, व्यापारी और स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित है। अलवर मंडी में रोज 500-1000 ट्रक प्याज आते थे, अब यह संख्या घटकर 100 रह गई है। कर्जदार किसानों की संख्या बढ़ रही है, और ग्रामीण क्षेत्रों में तनाव का माहौल है। राष्ट्रीय स्तर पर प्याज उत्पादन 26 मिलियन टन है, लेकिन निर्यात बंद से घरेलू कीमतें अस्थिर हैं—मुंबई में खुदरा 50-60 रुपये, लेकिन थोक में गिरावट।
आगे की राह: मांगें और उम्मीदें किसान संगठन 'अखिल भारतीय किसान सभा' ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। वे मांग कर रहे हैं:प्याज निर्यात प्रतिबंध तत्काल हटाना।अलवर में 100 करोड़ के तहत 50 आधुनिक गोदाम बनाना।न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 30 रुपये प्रति किलो तय करना।कर्ज माफी और बीमा योजना का विस्तार।केंद्र सरकार ने हाल ही में निर्यात पर 1 लाख टन की कोटा सीमा लगाई, लेकिन किसानों का कहना है कि यह अपर्याप्त है। कृषि मंत्री ने संसद में कहा, "स्थिति सुधरेगी, लेकिन घरेलू बाजार प्राथमिकता है।" हालांकि, अलवर के किसानों को तत्काल राहत की जरूरत है, वरना यह संकट और गहरा सकता है।