जोधा-अकबर की शादी: ऐतिहासिक सत्य या ब्रिटिश इतिहासकारों की रची कहानी?

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया कि जोधा-अकबर की शादी की कहानी झूठी है और अकबरनामा में इसका कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने कहा कि आमेर के राजा भारमल ने अपनी दासी की बेटी की शादी अकबर से करवाई थी, न कि राजकुमारी जोधाबाई की। बागड़े ने ब्रिटिश इतिहासकारों पर भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और महाराणा प्रताप की वीरता को कमतर दिखाए जाने की बात कही। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इतिहास को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत करने की कोशिशों का भी उन्होंने जिक्र किया। यह बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर बहस और विवाद का कारण बन रहा है।

May 30, 2025 - 19:52
जोधा-अकबर की शादी: ऐतिहासिक सत्य या ब्रिटिश इतिहासकारों की रची कहानी?

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने उदयपुर में 29 मई 2025 को एक कार्यक्रम में जोधा-अकबर की शादी की कहानी को झूठा करार देकर इतिहास की किताबों में दर्ज तथ्यों पर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि मुगल बादशाह अकबर और जोधाबाई के विवाह का कोई उल्लेख अकबर के समकालीन ग्रंथ अकबरनामा में नहीं है। बागड़े ने कहा कि यह कहानी ब्रिटिश इतिहासकारों के प्रभाव में गढ़ी गई, जिसने भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उनके अनुसार, आमेर के राजा भारमल ने अपनी पुत्री जोधा के बजाय एक दासी की बेटी की शादी अकबर से करवाई थी। इस बयान ने इतिहासकारों, विद्वानों और आम जनता के बीच एक नई बहस छेड़ दी है।

हरिभाऊ बागड़े ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय नायकों और उनकी गौरवशाली कहानियों को कमतर आंककर मुगल शासकों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। उन्होंने विशेष रूप से अकबरनामा का हवाला दिया, जो अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखा गया था। बागड़े के मुताबिक, इस ग्रंथ में जोधा और अकबर के विवाह का कोई जिक्र नहीं है, जिससे यह कहानी संदिग्ध हो जाती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि आमेर के राजा भारमल ने अपनी राजकुमारी के बजाय एक दासी की पुत्री को अकबर से ब्याहा था, जिसे बाद में जोधाबाई के रूप में प्रचारित किया गया।

इसके साथ ही, बागड़े ने महाराणा प्रताप की वीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि इतिहास में उनकी उपलब्धियों को कम आंका गया, जबकि अकबर को महिमामंडित किया गया। उन्होंने दावा किया कि महाराणा प्रताप ने कभी भी अकबर के साथ संधि के लिए पत्र नहीं लिखा, और इस तरह के दावे भी भ्रामक हैं।

ऐतिहासिक तथ्यों की पड़ताल

जोधा-अकबर की शादी का उल्लेख इतिहास में 1562 के आसपास का माना जाता है, जब अकबर ने आमेर (वर्तमान जयपुर के पास) के कछवाहा राजपूत शासक भारमल की बेटी से विवाह किया था। कई इतिहासकारों के अनुसार, इस राजकुमारी का नाम हरखा बाई था, जिसे बाद में मरियम-उज-जमानी के नाम से जाना गया। यह विवाह अकबर की राजपूतों के साथ गठबंधन की नीति का हिस्सा था, जिसने मुगल साम्राज्य को मजबूती दी। हालांकि, कुछ इतिहासकार और स्रोत यह भी कहते हैं कि "जोधाबाई" नाम बाद में प्रचलित हुआ और संभवतः यह हरखा बाई का ही दूसरा नाम था, या फिर यह भ्रम जहांगीर की पत्नी जोधाबाई से उत्पन्न हुआ।

अकबरनामा में हरखा बाई के साथ अकबर के विवाह का उल्लेख है, लेकिन "जोधाबाई" नाम का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह नाम 18वीं सदी में ब्रिटिश और अन्य लेखकों द्वारा प्रचलित किया गया, जिसे बाद में लोकप्रिय संस्कृति, जैसे फिल्मों (मुगल-ए-आजम और जोधा अकबर) और धारावाहिकों ने और बढ़ावा दिया। बागड़े का यह दावा कि अकबर की शादी एक दासी की बेटी से हुई थी, इतिहासकारों के बीच विवादास्पद है, क्योंकि इसके समर्थन में कोई ठोस प्राथमिक स्रोत उपलब्ध नहीं है।

महाराणा प्रताप और इतिहास लेखन पर सवाल

बागड़े ने अपने बयान में महाराणा प्रताप को केंद्र में रखते हुए कहा कि इतिहास में उनकी वीरता और आत्मसम्मान को कमतर दिखाया गया। उन्होंने दावा किया कि महाराणा प्रताप ने कभी भी अकबर के सामने समर्पण नहीं किया और संधि पत्र लिखने की बात पूरी तरह झूठी है। यह बयान राजपूत समुदाय के बीच गर्व का विषय बन सकता है, क्योंकि महाराणा प्रताप को उनके साहस और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए जाना जाता है।

बागड़े ने यह भी कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को अपने दृष्टिकोण से लिखा, जिससे कई गलत तथ्य प्रचलित हुए। बाद में भारतीय इतिहासकार भी इस दृष्टिकोण से प्रभावित रहे। हालांकि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत अब भारतीय संस्कृति और इतिहास को अधिक प्रामाणिक और गौरवशाली तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है।

बागड़े के इस बयान ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग उनके दावे का समर्थन करते हुए इसे इतिहास की गलतियों को सुधारने की दिशा में एक कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के रूप में देख रहे हैं। खासकर राजपूत समुदाय में इस बयान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ का मानना है कि यह बयान राजपूत गौरव को पुनर्स्थापित करता है, जबकि अन्य इसे अनावश्यक विवाद मानते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी। कुछ ने दावा किया कि जोधाबाई का अस्तित्व ही एक मिथक है, जिसे ब्रिटिश इतिहासकारों और बाद में बॉलीवुड ने बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, एक यूजर ने लिखा कि जयपुर के रिकॉर्ड में अकबर की शादी हरखा बाई से होने की बात है, जो एक दासी थी, न कि राजकुमारी। हालांकि, ये दावे भी प्राथमिक स्रोतों पर आधारित नहीं हैं और ऐतिहासिक शोध की मांग करते हैं।

क्या है सच्चाई?

इतिहासकारों के बीच जोधा-अकबर की शादी को लेकर पहले भी बहस होती रही है। कुछ प्रमुख बिंदु:

  • हरखा बाई या मरियम-उज-जमानी: अधिकांश इतिहासकार मानते हैं कि अकबर ने 1562 में आमेर के राजा भारमल की बेटी हरखा बाई से शादी की थी। वह सलीम (जहांगीर) की मां थीं और मुगल दरबार में महत्वपूर्ण स्थान रखती थीं।
  • जोधाबाई का नाम: कुछ स्रोतों में हरखा बाई को ही जोधाबाई कहा गया, लेकिन यह नाम बाद में प्रचलित हुआ। कुछ का मानना है कि जोधाबाई जहांगीर की पत्नी थी, जिससे भ्रम पैदा हुआ।
  • अकबरनामा का रिकॉर्ड: अकबरनामा में हरखा बाई के साथ विवाह का उल्लेख है, लेकिन "जोधाबाई" नाम का अभाव इस विवाद को बढ़ाता है।
  • ब्रिटिश प्रभाव: ब्रिटिश इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को अपने दृष्टिकोण से लिखा, जिसमें कई बार तथ्यों को सरलीकृत या गलत तरीके से पेश किया गया।

हरिभाऊ बागड़े का बयान भारतीय इतिहास लेखन और उसके औपनिवेशिक प्रभावों पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देता है। जोधा-अकबर की शादी की कहानी, जो लोकप्रिय संस्कृति में फिल्मों और धारावाहिकों के जरिए जीवंत है, अब एक बार फिर जांच के दायरे में है। हालांकि, बागड़े के दावे को सत्यापित करने के लिए और अधिक ऐतिहासिक शोध और प्राथमिक स्रोतों की जरूरत है। यह विवाद न केवल इतिहास की प्रामाणिकता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे इतिहास को राजनीतिक और सांस्कृतिक संदर्भों में इस्तेमाल किया जाता है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत भारतीय इतिहास को पुनर्लेखन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जो भविष्य में इस तरह के विवादों को सुलझाने में मदद कर सकता है। तब तक, जोधा-अकबर की कहानी इतिहास, मिथक और लोकप्रिय संस्कृति के बीच एक रोचक बहस का विषय बनी रहेगी।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ