केरल के जंगलों में मिला 'गैलेक्सी फ्रॉग': ऐसा मेंढक जो दिखता है जैसे कोई चलती-फिरती आकाशगंगा ...

गैलेक्सी फ्रॉग या स्टैरी ड्वार्फ फ्रॉग Astrobatrachus kurichiyana — जैव विविधता की दुनिया में एक रोमांचक खोज साबित हुआ है।

May 29, 2025 - 14:20
केरल के जंगलों में मिला 'गैलेक्सी फ्रॉग': ऐसा मेंढक जो दिखता है जैसे कोई चलती-फिरती आकाशगंगा ...

भारत के पश्चिमी घाट की रहस्यमयी पहाड़ियों से एक ऐसा जीव खोजा गया है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी चकित रह गए। आकार में बेहद छोटा लेकिन रंग-रूप में किसी तारे भरे आसमान जैसा दिखने वाला यह मेंढक — गैलेक्सी फ्रॉग या स्टैरी ड्वार्फ फ्रॉग (Astrobatrachus kurichiyana) — जैव विविधता की दुनिया में एक रोमांचक खोज साबित हुआ है।

विज्ञान की नजर में ‘जीवित जीवाश्म’

इस अनोखी प्रजाति की खोज 2019 में भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने केरल के वायनाड ज़िले की कुरीचियामाला पहाड़ियों में की थी। छोटे आकार का यह मेंढक आमतौर पर नजर नहीं आता। यह रात में सक्रिय होता है और ज्यादातर समय जमीन के नीचे या पत्तियों के बीच छिपा रहता है।

रंगों की बात करें तो इसका शरीर गहरे नीले-काले रंग का होता है, जिस पर नीले चमकीले धब्बे और नारंगी धारियाँ होती हैं — जैसे किसी कलाकार ने ब्रह्मांड का नक्शा उस पर उकेर दिया हो। इसी वजह से इसे 'गैलेक्सी फ्रॉग' का नाम मिला।

सबसे खास बात यह है कि यह मेंढक किसी भी ज्ञात जीव-वर्ग (family) से नहीं जुड़ता, बल्कि यह अपने अलग जैविक वर्ग — Astrobatrachidae में आता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह जीव 5 करोड़ सालों से पृथ्वी पर मौजूद है, लेकिन अब जाकर मानव नज़रों में आया है।

 सिर्फ भारत में — और वो भी एक सीमित हिस्से में

यह मेंढक केवल वेस्टर्न घाट की कुछ खास पहाड़ियों में ही पाया गया है, जिससे इसकी स्थिति बेहद संवेदनशील हो जाती है। जैव विशेषज्ञ इसे 'स्थानिक प्रजाति' (Endemic Species) कहते हैं, यानी जो केवल एक विशेष क्षेत्र में पाई जाती है और कहीं नहीं।

पर्यावरणीय संकट का संकेत

गैलेक्सी फ्रॉग की खोज इस बात की याद दिलाती है कि हमारी धरती पर अब भी कई ऐसी प्रजातियाँ मौजूद हैं, जिनकी हमें कोई जानकारी नहीं है। साथ ही यह भी बताती है कि यदि जंगलों की कटाई, पर्यटन का दबाव और जलवायु परिवर्तन ऐसे ही जारी रहे, तो ये दुर्लभ प्रजातियाँ हमसे सदा के लिए खो सकती हैं।

नाम में बसी संस्कृति

इस मेंढक का वैज्ञानिक नाम Astrobatrachus kurichiyana रखा गया है — जिसमें “Kurichiyana” केरल की कुरीचिया जनजाति के सम्मान में जोड़ा गया है, जो सदियों से इन पहाड़ियों में रहती आ रही है।

विशेषज्ञों की राय

डॉ. सोनाली रामास्वामी, जो टीम का हिस्सा थीं, कहती हैं-

“इस खोज ने साबित कर दिया है कि पश्चिमी घाट जैसे इलाकों में आज भी ऐसे जीव छिपे हुए हैं जो विज्ञान के लिए पूरी तरह नए हैं। लेकिन इनका अस्तित्व सीधे तौर पर हमारे पर्यावरणीय फैसलों पर निर्भर करता है।”

'गैलेक्सी फ्रॉग' न सिर्फ एक नई प्रजाति है, बल्कि यह प्रकृति की अद्भुत रचनाशीलता और नाजुक संतुलन का प्रतीक भी है। यह खोज हमें याद दिलाती है कि हर पत्ता, हर चट्टान, और हर बूंद के नीचे विज्ञान की एक नई कहानी छिपी हो सकती है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .